पीआई इंडस्ट्रीज के बारे में जब हमने छह महीने पहले पहली बार यहां लिखा था, तब कंपनी एक कसमसाहट के दौर से गुजर रही थी। पॉलिमर इकाई को बेचकर वह खुद को ट्रिम व स्लिम बनाने में लगी थी। तब उसके दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव 526.55 रुपए था। अब उसके पांच रुपए अंकित मूल्य के शेयर का भाव 582.55 रुपए है। दस रुपए का अंकित मूल्य मानें तो भाव हुआ 1165.10 रुपए। छह महीने में 121.27% का रिटर्न। इस बीच यह स्टॉक बीते हफ्ते शुक्रवार को 630 रुपए (दस के शेयर पर 1260 रुपए) पर 52 हफ्ते की चोटी भी पकड़ चुका है। बता दें कि कंपनी ने इसी महीने 19 अगस्त से अपने दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों को पांच रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में स्प्लिट किया है।
आप गौर करें तो पाएंगे कि जब हमने इस स्टॉक के बारे में हिचकते हुए लिखा था, उसी कॉलम के आखिरी पैरा में सवाल उठाया था, “मुझे समझ में नहीं आता है कि जब खरीदने का इतना अच्छा मौका है तो कौन लोग हैं जो बेचे जा रहे हैं और बाजार पूरी तरह बिकवाली की गिरफ्त में आ गया है? क्या दीर्घकालिक निवेश की बात हाथी के दिखाने के दांत की तरह का एक सब्जबाग है? बाजार में लांग टर्म कुछ नहीं होता, बस शॉर्ट टर्म ही चलता है?”
आज सचमुच मैं कुछ हद तक इस सवाल के जवाब तक पहुंच चुका हूं। आज मैं हिमांशु गुप्ता की इस बात से पूरा नहीं तो कुछ हद तक जरूर सहमत हूं कि, “ये बाजार है और बाजार में निवेश नहीं, ट्रेड होता है। ये शेयर बेटी की शादी को ले लो, इसे बेटे को एमबीए करवाने को रख लो। कल का क्या पता? उम्मीद करते हैं बीस साल बाद क्या होगा और दुहाई देंगे एसबीआई, टाइटन की। पूरा कार्टेल है जनता का पैसा लॉन्ग टर्म लगवाने को। क्योंकि आखिर पैसा वो नहीं लगाएगा तो फिर सौदा महंगा करके किसके हाथ बेचेंगे!”
सचमुच हमारे बाजार की फिलहाल जो स्थिति में उसमें लगता है कि यहां लांग टर्म जैसा कुछ नहीं है। बहुत संभव है कि इसके पीछे लोगों को हांककर फंसानेवाली बात हो। इसलिए जब भी निवेश करने के बाद ठीकठाक रिटर्न मिले तो बेचकर फायदा कमा लेना चाहिए। पीआई इंडस्ट्रीज की बात करें तो उसमें नए सिरे से निवेश की सिफारिशें आ रही हैं। कहा जा रहा है कि इस स्टॉक (बीएसई – 523642, एनएसई – PIIND) ने बाजार की धारा से विपरीत चलकर इतनी शानदार बढ़त हासिल की है तो यह इसकी मजबूती का प्रमाण है और यह आगे भी अच्छा रिटर्न देगा।
लेकिन मेरा वही कहना है कि कल किसने देखा है। हम तो यही कहेंगे कि जिन्होंने भी अर्थकाम की सलाह पर इसे खरीदा हो, उन्हें इससे हाथ धो-पोंछकर बाहर निकल लेना चाहिए। छह महीने में किसी मिडकैप कंपनी से 121 फीसदी रिटर्न मिल चुका है। यह बहुत है। इससे ज्यादा की उम्मीद में फंस सकते हैं।
वैसे, पीआई इंडस्ट्रीज (पुराना नाम – पेस्टीसाइड्स इंडिया) में बहुत सारी खूबियां हैं। दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सोनी कॉरपोरेशन के साथ मिलकर उसने उदयपुर (राजस्थान) में पीआई-सोनी रिसर्च सेंटर खोला है जहां फ्लेक्सी-टीवी व सोलर सेल वगैरह में इस्तेमाल होनेवाले सिंथेटिक ऑर्गेनिक केमिकल्स के बारे में शोध किया जा रहा है। 35 देशों में अपने उत्पाद निर्यात करती है। कंपनी कृषि से जुड़े तमाम रसायनों के साथ-साथ फाइन केमिकल व औषधियों के मामले में क्रैम्स (कांट्रैक्ट रिसर्च व मैन्यूफैक्चरिंग सर्विसेज) का काम भी करती है। उसने तीन नए मॉलेक्यूल्स के पंजीकरण की अर्जी डाल रखी है। इन्हें अगले वित्त वर्ष 2012-13 में व्यावसायिक रूप से लांच करने की योजना है।
बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी बिक्री 32.65 फीसदी बढ़कर 718.57 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 56.58 फीसदी बढ़कर 64.12 करोड़ रुपए हो गया। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में जून की पहली तिमाही में उसकी बिक्री में 58.93 फीसदी और शुद्ध लाभ में 390.79 फीसदी का जबरदस्त इजाफा हुआ है। स्टैंड एलोन आधार पर उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 32.36 रुपए है और उसका शेयर 582.55 रुपए के भाव पर 18 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। दो-चार महीनों को छोड़ दें तो पीआई इंडस्ट्रीज इससे कम पी/ई पर ट्रेड होता रहा है। शेयर की बुक वैल्यू 93.95 रुपए ही है।
इसलिए हमारी सलाह है कि तमाम खूबियों के बावजूद उन निवेशकों को इससे निकल लेना चाहिए जिन्होंने इसे हमारे कहने पर इस साल फरवरी महीने में खरीदा था। बाकी जो लोग नए सिरे से निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए पीआई इंडस्ट्रीज यकीनन लाभ का सौदा साबित हो सकती है। लेकिन 2012-13 तक का धैर्य उन्हें रखना पड़ सकता है।