अमेरिका में हड़कंप मचाने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) ने चेतावनी दी है कि वह भारत, जापान और मलयेशिया जैसे देशों की क्रेडिट रेटिंग भी घटा सकती है। फिलहाल भारत की क्रेडिट रेटिंग बीबी (-) है। निवेश के लिहाज से यह रेटिंग का काफी निचला स्तर माना जाता है। कमजोर रेटिंग से भारत सरकार समेत भारतीय कंपनियों को विदेशी कर्ज के लिए ज्यादा ब्याज देना पड़ता है।
एस एंड पी का कहना है कि विश्व अर्थव्यवस्था में कमजोरी आती है तो एशिया-प्रशांत देशों की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा व लंबा असर पड़ सकता है। उसने अपनी रिपोर्ट में भारत का साफ नाम लिए बगैर कहा है कि इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की रेटिंग पहले से ज्यादा नकारात्मक हो सकती है और कई देशों की रेटिंग घटायी जा सकती है।
रेटिंग एजेंसी का कहना है, ‘‘जापान, भारत, मलयेशिया, ताइवान व न्यूजीलैंड की राजकोषीय स्थिति 2008 से पहले के स्तर की तुलना में कमजोर हुई है।’’ इन देशों की सरकारों को अपनी अर्थव्यवस्था व बैंकिंग प्रणाली को संभालने के लिए एक बार फिर सार्वजनिक संसाधनों का इस्तेमाल करना पड़ सकता है।
बता दें कि 2008 में लेहमान संकट के बाद उपजी वैश्विक वित्तीय सुस्ती के समय भारत सहित तमाम देशों को अपनी अर्थव्यवस्था की गति संभालने के लिए कई प्रोत्साहन पैकेज जारी करने पड़े थे। इन प्रोत्साहनों के तहत सरकारी व्यय में वृद्धि की गई, ब्याज सस्ता किया गया और कर की दरें कम की गईं। उस दौरान भारत ने तीन बार में कुल 1.86 लाख करोड़ रुपए अर्थव्यवस्था में डाले गए। इससे अर्थव्यवस्था को काफी बल मिला और कि 2009-10 में हमारी आर्थिक विकास दर संभल कर फिर से 8 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि 2008-09 के दौरान यही दर 6.8 फीसदी थी।