शेयर तो हर कोई, जिसके पास भी डीमैट खाता है, आसानी से खरीद सकता है। लेकिन शेयरों से कमाई वही कर पाता है जो सही वक्त पर उन्हें बेच लेता है। ज्यादातर लोग तो हाथ ही मलते रह जाते हैं कि उस समय कितने टॉप पर गया था मेरा शेयर। काश, उस समय बेच लिया होता! मुश्किल यह है कि खरीदने की सलाह तो जगह-जगह से मिल जाती है। ब्रोकरों से लेकर हॉट टिप्स बांटनेवाली वेबसाइट्स और यार-दोस्त तक बताते रहते हैं कि ये खरीद लो, वो खरीद लो। लेकिन खरीद लिया तो बतानेवाले यूलिप के एजेंट की तरह गायब हो जाते हैं।
असल में दोष उनका भी नहीं क्योंकि बेचने का कोई सार्वकालिक या सार्वभौमिक सूत्र है ही नहीं। यह हर निवेशक की जरूरत और लक्ष्य पर निर्भर करता है। आखिर हम शेयरों में निवेश कमाने के लिए करते हैं। कोई जिंदगी भर का सट्टा-बयाना तो लिखाते नहीं कि हमेशा उससे चिपके रहेंगे। इसलिए कभी भी अपने शेयर के साथ प्यार में मत पड़िए क्योंकि वह कभी भी आपके प्यार में नहीं पड़ेगा और बाजार की गति के साथ बहेगा, कभी डूबेगा तो कभी उतराएगा।
बेचने का एक ही फॉर्मूला है कि शेयर उस वक्त आपको लक्षित फल दे रहा है या नहीं। पांच-दस साल से कम अवधि में तो दोगुने-तिगुने रिटर्न की बात सोचना नादानी है। सामान्यतः 20 फीसदी का रिटर्न बहुत होता है। अगर कोई शेयर आपको किसी वक्त 20 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दे रहा है तो उससे बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए। खासकर, सेंसेक्स व निफ्टी से बाहर की कंपनियों के शेयर अनार की तरह फूटते और फुस्स हो जाते हैं। ज्यादातर मिड कैप व स्मॉल कैप का यही हाल है। इसलिए इनसे ठीकठाक यानी 20 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न मिलते ही निकल जाना चाहिए।
मान लीजिए कि लेने के बाद शेयर गिरता ही चला जा रहा है तो देखना चाहिए कि कंपनी के साथ कोई लोचा तो नहीं है। अगर हां, तो घाटा उठाकर भी उसे सलाम बोल दें। अगर नहीं तो थोड़ा और खरीद कर औसत लागत कम कर लें। हां, जिन शेयरों को आपने लंबे समय यानी पांच-दस साल के लिए खरीदा है, उनकी तरफ से आनेवाली सालाना रिपोर्टों वगैरह को पढ़ते रहना चाहिए ताकि पता चला कि जैसा सोचा था, कंपनी वैसी चल रही है या नहीं। इन शेयरों को निजी लक्ष्य पूरा होने पर ही बेचना चाहिए। जैसे, आपने कोई शेयर पूरी तरह से देखभाल कर अपनी बेटी की शादी या रिटायरमेंट के लिए खरीदा है तो उसे उसी समय छेड़ना चाहिए। मोटे तौर पर ए ग्रुप के शेयरों या इंडेक्स फंड वगैरह को ही लांग टर्म या लंबे निवेश के लिए रखना चाहिए।
कभी-कभी तो मुझे लगता है कि आज के अनिश्चित हालात में लांग टर्म एक छलावा है। यह अपने निवेश को वाजिब ध्यान व समय न देने पाने का एक बहाना है। इसलिए लांग टर्म को छोड़कर लक्ष्य पूरा होते ही निकल लेना चाहिए। जैसे, मान लीजिए कि मैंने 10,000-10,000 रुपए करके शेयरों में इसलिए निवेश किया ताकि आगे मकान की 16,000 रुपए की किश्तें दे सकूं तो मेरे जो भी 10,000 रुपए जब भी 16,000 के आसपास पहुंचे, मुझे उसे बेचकर पैसे निकाल लेने चाहिए, भले वह शेयर कितना भी तोप-तमंचा क्यों न हो।
अब मैं विवाद के केंद्र में रहे और अमित द्वारा सुझाए गए दो खास शेयरों का खास जिक्र करना चाहूंगा। एक है टीसीआई फाइनेंस और दूसरा है मधुसूदन सिक्यूरिटीज। अमित ने 4 जनवरी 2011 को जब टीसीआई फाइनेंस में निवेश की सबसे पहले सलाह दी थी तब वह 47.95 रुपए पर था। अभी शुक्रवार, 29 जुलाई को 62.40 रुपए पर है। 50 की भी खरीद पकड़ें तब भी 24 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न बनता है। क्या इतना कम है? वैसे बीच में यह 2 फरवरी को 129.40 रुपए तक भी चला गया था। इसलिए अगर किसी ने इसे ज्यादा लालच में पकड़े रखा तो इसमें बतानेवाले का क्या दोष?
मधुसूदन सिक्यूरिटीज के बारे में अमित ने 11 फरवरी को जब निवेश की सलाह दी थी, तब यह बराबर ऊपरी सर्किट लगते-लगते 74.30 रुपए पर पहुंच चुका था। इस समय यह 75.50 रुपए है। यानी, न घाटा, न फायदा। लेकिन बीच में 11 अप्रैल को यह 106.90 रुपए तक चला गया था। अगर किसी ने 40 फीसदी से भी ज्यादा रिटर्न न मिलने पर भी इसे नहीं बेचा तो इसके लिए दोष उसके लालच का है, न कि बतानेवाले का। इसलिए, मित्रों! मेरा सुझाव है और निवेश का यह मंत्र भी है कि शेयर को खरीदने के साथ ही सोच लीजिए कि इससे 20 फीसदी से ज्यादा कितना कमाना है। यह लक्ष्य हासिल होते ही निकल लीजिए। आप उसे माशूका या बंदरिया के बच्चे की तरह चिपकाए रहेंगे तो पछताने की नौबत आ सकती है।
हां, जल्दी-जल्दी बेचने में दिक्कत यह होती है कि साल भर के भीतर शेयर को बेच देने पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। वैसे तो प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) लागू होने के बाद यह स्थिति बदल सकती है। लेकिन सरकार को फिलहाल यह करना चाहिए कि शेयरों में दो लाख रुपए तक के निवेश को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स से मुक्त कर देना चाहिए। इससे हम-आप जैसे रिटेल निवेशकों को बाजार का मीठा स्वाद चखने का मौका मिलेगा और हम ज्यादा उत्साह से पूंजी बाजार में वापसी कर सकते हैं। सरकार व बाजार के लोग भी यही चाहते हैं!
अंत में आज की सबसे बड़ी टिप यह है कि हॉट टिप जैसी कोई चीज नहीं होती। इसके पीछे या तो किसी की मूर्खता होती है या आपको छलने की नीयत।
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