शुक्रवार की सुबह-सुबह देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई में कमाल हो गया। टीसीएस का शेयर गुरुवार के बंद भाव 1125.25 रुपए से एकबारगी 20 फीसदी बढ़कर 52 हफ्ते के शिखर 1350.20 रुपए पर जा पहुंचा। फिर अचानक 20 फीसदी का गोता लगाकर 900.25 रुपए पर चला गया। इसी तरह रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) एकबारगी 20 फीसदी गिरकर 693.55 रुपए पर पहुंच गया, जो 52 हफ्ते का उसका न्यूनतम स्तर है। फिर पलक झपकते ही 20 फीसदी बढ़कर 1040.25 रुपए पर जा पहुंचा।
ये सब हुआ बीएसई में सुबह 9 बजे से 9 बजकर 15 मिनट के प्री-ओपन सत्र में है। ऐसा करिश्मा एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, हीरो होंडा, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, जयप्रकाश एसोसिएट्स, टाटा स्टील, बीएचईएल और डीएलएफ के साथ भी हुआ। एसबीआई 2959.65 रुपए से लेकर 1973.15 रुपए का चक्कर लगा गया तो डीएलएफ 280.80 रुपए पर खुलकर 187.25 रुपए तक गिर गया। जब ये सब चल रहा था कि देश के दूसरे प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज एनएसई में शेयरों में ऐसा कोई तूफान नहीं आया हुआ था और सब कुछ शांति से चल रहा था।
बाद में बीएसई को सारा माजरा समझ में आया कि टेक्निकल ग्लिच के कारण ये सारी विचित्र हरकत हो रही है। उसने दोपहर 12.30 बजे एक नोटिस जारी कर प्री-ओपन सत्र में किए गए सारे 1354 सौदे रद्द कर दिए। साथ ही एक्सचेंज ने इस सत्र के सभी लंबित या पेंडिंग ऑर्डर भी रद्द कर दिए हैं। बीएसई की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी गई है। इसमें यह तो माना गया है कि ऐसा ट्रेडिंग सिस्टम की टेक्निकल ग्लिच के कारण हुआ है। लेकिन यह नहीं बताया गया है कि ऐसी चूक हो कैसे गई। हां, उसने इतना जरूर कहा है कि मूल्य हासिल करने की प्रणाली में पारदर्शिता व निष्पक्षता लाने के लिए सौदों को निरस्त किया गया है।
कुछ ब्रोकरों ने इन ऊंटपटांग भावों को देखकर फौरन चिल्लपों मचाई थी। शुक्र की बात है कि 9.15 बजे के बाद सामान्य ट्रेडिंग शुरू होने पर सब कुछ सामान्य तरीके से चलने लगा। डीएलएफ 0.41 फीसदी गिरा तो एसबीआई 0.18 फीसदी बढ़ा। रिलायंस में 0.74 फीसदी बढ़ा तो टीसीएस ने 2.03 फीसदी की बढ़त ले ली है। 15 मिनट के भीतर बीएसई बोल्ट का 20 फीसदी इधर और 20 फीसदी उधर का झटका बेअसर हो चुका था।
अच्छी बात यह रही है कि यह सब बीएसई में हो रहा था जहां अमूमन वोल्यूम काफी कम रहता है क्योंकि इन लॉर्ज कैप कंपनियों के अधिकतम सौदे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में होते हैं। इसलिए ज्यादातर ब्रोकरों ने भावों की इस जिम्नास्टिक पर गौर ही नहीं किया। अगर एनएसई में ऐसा हो गया होता तो वाकई बवाल मच गया होता। गौरतलब पिछले साल 2 नवंबर को भी इसी तरह की टेक्निकल ग्लिच के कारण बीएसई में ट्रेडिंग ढाई घंटे के लिए रोकनी पड़ी थी।