मुद्रास्फीति का आंकड़ा दहाई से जरा-सा चूका, सत्रह महीनों में सबसे ज्यादा

मार्च महीने में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 9.9 फीसदी हो गई है जो पिछले सत्रह महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। यह फरवरी माह में 9.89 फीसदी थी। केंद्र सरकार की तरफ आज जारी किए आंकड़ों के मुताबिक इस मार्च में चीनी की कीमतें पिछले मार्च से 48.75 फीसदी और दालों की कीमतें 31.40 फीसदी अधिक हैं। मुद्रास्फीति की दर में 0.01 फीसदी बढ़त की खास वजह यही है। बता दें कि सरकार पहले हर हफ्ते थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी करती थी। लेकिन अब हर महीने पर ऐसा करने लगी है। लेकिन खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति के आंकड़े अब भी हर हफ्ते जारी किए जाते हैं।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक 3 अप्रैल को बीते हफ्ते में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति घटकर 17.22 फीसदी पर आ गई है। 27 मार्च को खत्म हफ्ते में यह 17.70 फीसदी दर्ज की गई थी। यह कमी मुख्तया आलू के दाम में साल भर पहले की तुलना में 23.71 फीसदी और प्याज में 2.5 फीसदी की गिरावट के चलते आई है।

मुद्रास्फीति की 9.9 फीसदी दर 10 फीसदी के मनोवैज्ञानिक स्तर से जरा-सा नीचे रह गई है। नहीं तो जबरदस्त हल्ला शुरू हो जाता। वैसे विपक्षी पार्टियों ने 27 अप्रैल को महंगाई के खिलाफ भारत बंद का आवाहन कर रखा है। लेकिन असली दबाव रिजर्व बैंक पर है, मुद्रास्फीति पर जिसके अनुमान लगातार गलत साबित हुए हैं। पहले उसने मार्च 2010 में मुद्रास्फीति के 4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया। फिर इसे बढ़ाकर 6.5 फीसदी और उसके बाद बढ़ाकर 8.5 फीसदी कर दिया। लेकिन हकीकत इस अनुमान से भी परे चली गई।

शुक्र की बात है कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ी मुद्रास्फीति की दर फरवरी के 7.4 फीसदी से थोड़ी घटकर मार्च में 7.13 फीसदी पर आ गई है। इस दौरान ईंधन से जुड़ी मुद्रास्फीति 10.2 फीसदी से बढ़कर 12.71 फीसदी हो गई है। अब बाजार के बहुत सारे लोगों को यकीन हो चला है कि रिजर्व बैंक अगले मंगलवार 20 अप्रैल को घोषित की जानेवाली मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में थोड़ा ही सही, इजाफा जरूर करेगा।

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