इस समय 176 कोयला परियोजनाएं पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरी न मिलने के कारण अटकी हुई हैं। यह जानकारी सोमवार को कोयला मंत्रालय की तरफ से दी गई है। मंत्रालय ने कोयला उत्पादक राज्यों के साथ पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरी और भूमि अधिग्रहण जैसे मसलों को तेजी से सुलझाने की बातचीत में लगा है।
इसके अलावा, कोयले की मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए कोल इंडिया (सीआईएल) विदेश में कोयले के भंडार पाने और अधिगृहीत कोयले के उत्पाद भारत आयात करने पर विचार कर रही है। इस दिशा में कई उपाय किए गए हैं। कंपनी वैश्विक मूल्यों के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए कोयले के पर भी विचार कर रही है।
बता दें कि भारतीय भू-गर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार देश में 1 अप्रैल 2011 तक सर्वाधिक 1200 मीटर की गहराई तक कोयले के कुल 28,587 करोड़ टन भू-गर्भीय संसाधन होने का अनुमान है। इसमें 3347 करोड़ टन कोकिंग कोयला और 25,240 करोड़ टन गैर-कोकिंग कोयला शामिल है। अब तक कोयला ब्लॉकों के 195 खनन अधिकार सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों को दिए गए हैं। कोयले के इन 195 खंडों में से लगभग 2200 करोड़ टन कोयला भंडारों के 84 ब्लॉक सरकारी कंपनियों को और 2215 करोड़ टन भंडारों के 111 खंड निजी क्षेत्र की कंपनियों को दिए गए हैं।