ज्यादातर भारतीय म्यूचुअल फंड में निवेश करने से घबराते हैं। ऐसा इसलिए कि एक तो उन्हें इसमें भारी जोखिम नजर आता है, दूसरे वे जानते ही नहीं कि निवेश का यह माध्यम काम कैसे करता है। यह बात रिसर्च व विश्लेषण से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय फर्म बोस्टन एनालिटिक्स की ताजा रिपोर्ट से सामने आई है।
बोस्टन एनालिटिक्स ने पिछले महीने देश के 15 शहरों में तकरीबन 10,000 लोगों से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। रिपोर्ट का कहना हैं कि म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश की सुविधा दो दशकों से भी ज्यादा वक्त से उपलब्ध है। फरवरी 2010 के अंत में म्यूचुअल फंड उद्योग का एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) या आस्तियां 7.82 लाख करोड़ रुपए तक जा पहुंची हैं। फिर भी 10 फीसदी से कम भारतीय परिवारों ने इसमें निवेश कर रखा है। इस बीच मार्च 2010 के अंत तक म्यूचुअल फंडों की आस्तियां थोड़ी-सी घटकर 7.48 लाख करोड़ रुपए पर आ गई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक महानगरों और टियर-1 शहरों में रहनेवाले अच्छी-खासी बचत वाले लोगों में से 40 फीसदी ने कहा कि म्यूचुअल फंडों में पैसा लगाने में भारी जोखिम है। टियर-2 शहरों के 33 फीसदी लोगों ने कहा कि वे नहीं जानते हैं कि इसमें कहां और कैसे निवेश किया जाता है।
दूसरी तरफ म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश करनेवाले दस में नौ लोगों ने कहा कि उनके निवेश की वजह यह है कि वे मानते हैं कि म्यूचुअल फंडों में निवेश के दूसरे माध्यमों की बनिस्बत ज्यादा प्रोफेशनल तरीके से काम होता है।