पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी यूलिप के बारे में 14 जीवन बीमा कंपनियों के खिलाफ जारी आदेश पर अमल की राह में कोई अड़चन नहीं आने देना चाहती। इसलिए उसने जिन भी खास-खास राज्यों में इन 14 कंपनियों के मुख्यालय हैं, उनके हाईकोर्ट के पहले से ही कैविएट दाखिल कर दिया है। यह कैविएट एक तरह की आपत्ति सूचना या याचिका है जिसके बाद कोई भी कोर्ट सेबी के आदेश के खिलाफ स्टे ऑर्डर नहीं जारी कर सकता। स्पष्ट है कि लक्ष्य की गई 14 बीमा कंपनियां सेबी के पास बिना रजिस्ट्रेशन कराए अब कोई नया यूलिप प्लान नहीं जारी कर सकतीं।
हालांकि सेबी की तरफ से कैविएट दाखिल करने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। न ही बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए ने कोई सूचना ही है या कोर्ट में जाने की बात कही है। लेकिन मीडिया में छपी खबरों में उच्च-पदस्थ सूत्रों के हवाले कहा गया है कि सेबी ने दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद व एरनाकुलम के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी एहतियातन कैविएट दाखिल कर दिया है।
सेबी के हमलावर अंदाज को देखकर बीमा कंपनियां और उनका नियामक आईआरडीए बचाव की मुद्रा में आ गया है। इसकी एक वजह यह भी है कि खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी कह चुके हैं कि निवेश के वित्तीय उत्पादों में जीरो एंट्री लोड होना चाहिए। दूसरे शब्दों में वे बीमा कंपनियों द्वारा भारी-भरकम कमीशन लिए जाने के खिलाफ हैं। उनकी यह बात सेबी के पक्ष में जाती है क्योंकि उसने अगस्त 2009 से ही म्यूचुअल फंडों में एंट्री लोड या फंड की एएमसी की तरफ से काटे जानेवाला शुरुआती कमीशन को खत्म कर दिया है। दूसरी तरफ बीमा कंपनियों की यूलिप में अब भी पहले साल प्रीमियम का 40 फीसदी और दूसरे साल 30 फीसदी तक कमीशन काट लिया जाता है।
इस बीच गुरुवार को वित्तीय बाजारों पर आयोजित सेमिनार में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की सीईओ रूपा कुडवा ने कहा कि नियमन के दायरे में आनेवाली सभी संस्थाओं के लिए एकल नियामक होना चाहिए। जब तक सुपर रेगुलेटर की व्यवस्था नहीं होती, तब तक भ्रम को दूर करने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी है।