सुप्रीम कोर्ट ने यूलिप विवाद पर पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार और 14 जीवन बीमा कंपनियों को औपचारिक नोटिस जारी कर दिया है। कोर्ट में इस मामले पर आज एकदम थोड़ी देर के लिए सुनवाई हुई। यह सुनवाई जस्टिस सरोश होमी कपाडिया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ कर रही है। बता दें कि कल सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि इस विवाद पर बॉम्बे हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर दो जनहित याचिकाओं को वहां से सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया जाए। आज ही केंद्र सरकार की तरफ ने राष्ट्रपति ने न्यायमूर्ति सरोश होमी कपाडिया को भारत का नया चीफ जस्टिस नियुक्त किया है। वे 12 मई 2010 को अपना पदभार संभालेगे।
बता दें कि सेबी और बीमा क्षेत्र की नियामक संस्था आईआरडीए के बीच यूलिप पर नियंत्रण के बारे में 9 अप्रैल से तब विवाद गहरा गया, जब सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरन ने 14 जीवन बीमा कंपनियों को अलग-अलग समय पर जारी नोटिसों का हवाला देते हुए आदेश जारी किया कि कोई भी बीमा कंपनी बिना सेबी के पास रजिस्ट्रेशन कराए न तो कोई नई यूलिप पॉलिसी जारी कर सकती और न ही मौजूदा पॉलिसी में नया प्रीमियम ले सकती है। आईआरडीए ने इस आदेश को बेमानी बताते हुए बीमा कंपनियों को पहले की तरह कामकाज जारी रखने का निर्देश दिया। फिर 12 अप्रैल को सेबी प्रमुख सी बी भावे और आईआरडीए प्रमुख जे हरिनारायण राजधानी दिल्ली में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ ही वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से भी मिले। वित्त मंत्री ने इस दोनों से कहा कि वे यह विवाद किसी उपयुक्त कानूनी फोरम पर सुलझाएं। लेकिन मुख्य प्रभावित पक्ष आईआरडीए इस पर चुप्पी साधे बैठा रहा।
इस बीच 13 अप्रैल को ही सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत सरन से नए आदेश में स्पष्ट किया कि 14 बीमा कंपनियों में से कोई भी सेबी के रजिस्ट्रेशन के बिना नई यूलिप पॉलिसी नहीं ला सकती हैं। हां, पुरानी पॉलिसियों का कामकाज पहले की तरह चलता रह सकता है। इसके बाद मुंबई के बोरीवली इलाके में रहनेवाले राजेंद्र ठक्कर नाम के एक बिजनेसमैन ने बॉम्बे हाईकोर्ट मे सेबी के आदेश के खिलाफ पीआईएल (जनहित याचिका) दाखिल कर दी। इस पर 15, 22 और 29 अप्रैल को सुनवाई होनी थी। इसमें से एक बार सुनवाई टाल दी गई और दो तारीखों पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
दूसरी याचिका ध्रुव कुमार नाम के एक वकील और बीमा प्रोफेशनल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 22 अप्रैल को दायर की है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि बीमा एजेंट यूलिप को गलत तरीके से बेचते हैं और कुछ बीमा कंपनियां मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) के जरिए अपनी पॉलिसियां बेच रही हैं। इस तरीके में होता यह है कि बीमा पॉलिसी का ग्राहक नए ग्राहक को पॉलिसी बेचता है और उसके कमीशन का एक हिस्सा उसे मिलता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दोनों याचिकाकर्ताओं से उनकी प्रतिक्रिया मांगी है।
सेबी ने इन दोनों ही याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की अर्जी लगाई है। इसमें उसने आईआरडीए के साथ भी भारत सरकार को भी प्रतिवादी बनाया है। आज की संक्षिप्त सुनवाई में एस एच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने यह भी सवाल उठाया कि सेबी मुंबई में है, बीमा कंपनियां मुंबई में हैं, एलआईसी मुंबई में है। ऐसे में मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में न सुलझाकर सुप्रीम कोर्ट में क्यों लाया जा रहा है?