पूरे 34 दिन। ताबड़तोड़ बोलियों के 183 दौर। और, आखिरकार मोबाइल की दुनिया की सबसे चकाचौंध सेवाएं देनेवाले 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी बुधवार को पूरी हो गई। अगर सरकारी कंपनियों एमटीएनएल और बीएसएनएल द्वारा दी जाने वाली रकम को मिला दिया जाए तो केंद्र सरकार को 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से कुल 67,718.95 करोड़ रुपए मिलेंगे। बजट में 3 जी स्पेक्ट्रम और ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस (बीडब्ल्यूए) से कुल 35,000 करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन सरकार को केवल 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलीमी से बजट अनुमान से 32718.95 करोड़ रुपए ज्यादा मिल गए हैं, जबकि बीडब्ल्यूए की नीलामी दो दिन बाद से शुरू होनी है।
इस बीच ब्रॉडबैंड वायरलेस सेवाओं के लिए 11 ऑपरेटर मैदान में उतर चुके हैं। इसके स्पेक्ट्रम में नीलामी का रिजर्व मूल्य 1750 करोड़ रुपए रखा गया है। इसमें 20 मेगाहर्ट्ज के दो स्लॉट या राष्ट्रीय लाइसेंस बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। तीसरा राष्ट्रीय लाइसेंस सरकारी टेलिकॉम कंपनियों के लिए आरक्षित है। बता दें कि 3 जी स्पेक्ट्रम की नीलामी 9 अप्रैल को शुरू हुई थी और उसमें 9 ऑपरेटर बोली लगाने उतरे थे। सरकार से 17 टेलिकॉम सर्किल में तीन-तीन स्लॉट बेचे हैं और चार-चार स्लॉट पांच राज्यों पंजाब, बिहार, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में बेचे हैं।
3 जी नीलामी में सबसे ज्यादा 13 सर्किल अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को मिले हैं। इसके बाद भारती को 12, आइडिया को 11 और वोडाफोन व टाटा को 9-9 सर्किल हासिल करने में सफलता मिली है। मुंबई व दिल्ली के प्रमुख सर्किल भारती, वोडाफोन व आरकॉम को मिले हैं। किसी भी एक ऑपरेटर को अखिल भारतीय स्तर पर 3 जी मोबाइल सेवाओं का लाइसेंस नहीं मिला है।
3 जी की इस नीलामी में 9 निजी कंपनियों को तीन लाइसेंस दिए गए हैं, जबकि चौथा लाइसेंस सरकारी कंपनियों एमटीएनएल व एमटीएनएल के लिए आरक्षित रखा गया है। उऩ्हें सबसे ज्यादा बोली के हिसाब से लाइसेंस की कीमत अदा करनी पड़ेगी। गौरतलब है कि 3 जी स्पेक्ट्रम सेवाओ से मोबाइल उपभोक्ता हाईस्पीड डाटा व वीडियो अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर सकते हैं। नीलामी में कामयाब हुई कंपनियों को इसके तहत आवंटित एयर वेव सितंबर में तब दी जाएगी, जब हमारे सैन्य बल इन्हें खाली कर देंगे।