शेयर ब्रोकर इस कोशिश में लगे हैं कि सरकार शेयर सौदों पर लगनेवाले सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) को कम कर दे। एसटीटी को 2004-05 से लागू किया गया है और इनकी मौजूदा दर 0.125 फीसदी है। यह खरीद-बिक्री दोनों ही तरह के शेयर सौदों पर लगता है। अपनी मांग लेकर ब्रोकरों का प्रतिनिधिमंडल वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से भी मिलने वाला है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक रवि नारायण ने एक समारोह के दौरान मीडिया से अलग बातचीत के दौरान कहा कि 2011-12 से प्रत्यक्ष कर संहिता (डायरेक्ट टैक्स कोड) को अपनाया जाना है, जिसमें एसटीटी की जगह कैपिटल गेन्स टैक्स को लाया जा सकता है जो ट्रेडिंग समुदाय के लिए अच्छा नहीं होगा। इस साल के बजट दस्तावेजों के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 में अप्रैल से फरवरी के बीच सरकार को एसटीटी से 5975 करोड़ रुपए मिले हैं।
इस मौके पर ब्रोकर फर्म अभिप्रा सिक्यूरिटीज के चेयरमैन वी डी अग्रवाल ने कहा कि हम एसटीटी को घटाने या एकदम हटाने की मांग लेकर वित्त मंत्री से मिलेंगे। उन्होंने बताया कि पहले एसटीटी को टैक्स की तरह माना जाता था। लेकिन अब इसे ब्रोकरों के खर्च में गिना जाता है।