एक समय की अच्छी बातें आगे जाकर रूढ़ि बन जाती है। मूर्तिभंजक ही मूर्तिपूजक बन जाते हैं। इसलिए जिस तरह सांप अपनी केंचुल उतारता रहता है, उसी तरह हमें भी रूढ़ियों को फेंकते रहना चाहिए।
2010-09-10
एक समय की अच्छी बातें आगे जाकर रूढ़ि बन जाती है। मूर्तिभंजक ही मूर्तिपूजक बन जाते हैं। इसलिए जिस तरह सांप अपनी केंचुल उतारता रहता है, उसी तरह हमें भी रूढ़ियों को फेंकते रहना चाहिए।
© 2010-2025 Arthkaam ... {Disclaimer} ... क्योंकि जानकारी ही पैसा है! ... Spreading Financial Freedom
रूढ़ियों को केंचुल की भाँति फेंक देना चाहिये।