जीवन बीमा कंपनियों के यूनिट लिंक्ड प्लान (यूलिप) पर सेबी और आईआरडीए में छिड़ी जंग आखिरकार वित्त मंत्रालय के दरवाजे पर पहुंच कर शांत हो गई। पूंजी बाजार नियामक सेबी और बीमा नियामक आईआरडीए में इस बात पर रजामंदी हो गई है कि वे इस मुद्दे पर उचित कानूनी मंच से वैधानिक जनादेश हासिल करेंगे। जब तक ऐसे किसी कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक मौजूदा स्थिति बनाए रखी जाएगी। दूसरे शब्दों में आईआरडीए ही बीमा कंपनियों के यूलिप उत्पादों का फैसला व निगरानी करती रहेगी। सेबी के शुक्रवार को जो आदेश जारी किया था, वह अब निष्प्रभावी हो जाएगा।
खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सेबी के चेयरमैन सी बी भावे और आईआरडीए के चेयरमैन जे हरिनारायण से मिलने के बाद यह जानकारी दी। मालूम हो कि आज सुबह से राजधानी दिल्ली में भावे और हरिनारायण डटे हुए थे। उन्होंने वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव जैसे शीर्ष अधिकारियों के अलावा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से भी कई दौर में बातचीत की। इसी के बाद वित्त मंत्री ने ऐलान किया कि यूलिप पर यथास्थिति बनाए रखने पर दोनों नियामकों के बीच सहमति बन गई है।
उन्होंने कहा कि किसी तरह की अस्पष्टता को दूर करने और बाजार को निर्बाध रूप से चलने देने के लिए नियामकों में सहमति बनी है कि वे उचित कोर्ट से वैधानिक जनादेश लेगें और उसका पालन करेंगे। तब तक पुरानी स्थिति बनाए रखी जाएगी। लेकिन कौन-से कानूनी में यूलिप के अधिकार का मामला तय होगा, यह अभी साफ नहीं है। यह भी साफ नहीं है कि यह मंच कोर्ट होगा या वित्त मंत्रालय का कोई निकाय अथवा समिति।
पहले दिन में लग रहा था कि फैसला सेबी के पक्ष में ही जाने के आसार हैं क्योंकि विकसित देशों में इस तरह के यूनिट लिंक्ड बीमा उत्पादों में निवेश का हिस्सा म्यूचुअल फंडों की एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को आउटसोर्स किया जाता है। लेकिन बाद में किसी पचड़े में बगैर मामला अदालत या कानूनी विशेषज्ञों पर छोड़ दिया गया।
इससे पहले आज सुबह वित्त सचिव अशोक चावला ने संवाददाताओं से कहा था कि वित्त मंत्रालय यूलिप पर वित्त बाजार की दो प्रमुख नियामक संस्थाओं सेबी और आईआरडीए की तरफ से जारी आदेशों पर गौर करेगा। उन्होंने कहा था कि हमें दोनों के आदेशों पर आंतरिक तौर पर देखने और इन पर बहस करने की जरूरत है। इसी के साथ आईआरडीए के चेयरमैन जे हरिनारायण ने नॉर्थ ब्लॉक में वित्त मंत्रालय के दफ्तर के बाहर संवाददाताओं को बताया था कि उन्हें लगता कि नियामकों (सेबी और आईआरडीए) के अधिकार क्षेत्र में ज्यादा स्पष्टता होनी चाहिए। लेकिन यूलिप के निवेशकों के हित सुरक्षित हैं।
पत्रकारों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं यहां किसी फैसले के लिए नहीं आया हूं। मैं इस मसले को सही परिप्रेक्ष्य में पेश करने के लिए आया हूं। यूलिप उत्पादों पर सेबी का कोई अधिकार नहीं बनता। हालांकि सेबी इसका उल्टा समझती है। सूत्रों के मुताबिक सेबी चेयरमैन सी बी भावे भी आज वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिलनेवाले हैं।
बता दें कि शुक्रवार को सेबी की तरफ से 14 जीवन बीमा कंपनियों के यूलिप उत्पादों पर आए आदेश के बाद आईआरडीए खलबलाया हुआ है। सेबी का कहना है कि यूलिप उत्पादों में निवेश का बड़ा हिस्सा होता है और वे सामूहिक निवेश स्कीम या म्यूचुअल फंड सरीखी ही हैं। इसलिए नई यूलिप लाने या मौजूदा यूलिप में नया सब्सक्रिप्शन लेने से पहले इन बीमा कंपनियों को यूलिप में निवेश के इस हिस्से का पंजीकरण सेबी के पास कराना होगा।
लेकिन आईआरडीए सेबी के आदेश को अपने हलके में दखल मानता है। उसने इंश्योरेंस एक्ट के अनुच्छेद 34 मिले अधिकारों के तहत सेबी के आदेश को निष्प्रभावी बताते हुए बीमा कंपनियों से कहा कि वे सेबी के आदेश की परवाह न करें। सेबी ने देश में सक्रिय 23 जीवन बीमा कंपनियों में से 14 को यूलिप उत्पाद लाने से तब तक रोक दिया था, जब तक वे उसके पास इन उत्पादों का पंजीकरण नहीं करातीं। इन कंपनियों में एकमात्र सरकारी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी शामिल नहीं थी। लेकिन अब व्यावहारिक रूप से इस आदेश का कोई मतलब नहीं रह गया है।