बैंक ऑफ राजस्थान का विलय आईसीआईसीआई बैंक में

बैंक ऑफ राजस्थान ने आज बाकायदा तय कर लिया कि वह आईसीआईसीआई बैंक में अपना विलय करेगा। विलय के स्वरूप का फैसला दोनों बैंकों के निदेशक बोर्ड अपनी-अपनी बैठकों में करेंगे। आईसीआईसीआई बैंक देश में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक है और वह पहले भी बैंक ऑफ राजस्थान को लेने की पेशकश कर चुका है। लेकिन उस समय बैंक ऑफ राजस्थान के प्रवर्तकों ने कुछ ज्यादा ही दाम मांग लिया था।

विलय पर दोनों बैंकों के बीच सहमति बन चुकी है। सूत्रों के मुताबिक तय हुआ है कि बैंक ऑफ राजस्थान के हर 118 शेयर पर आईसीआईसीआई बैंक के 25 शेयर दिए जाएंगे। बैंक ऑफ राजस्थान की तरफ से विलय के फैसले की आधिकारिक घोषणा के बाद उसका शेयर बीएसई में 19.95 फीसदी बढ़कर 99.50 रुपए पर पहुंच गया और उस पर ऊपरी सर्किट ब्रेकर लग गया। दूसरी तरफ आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 1.45 फीसदी घटकर 889.35 रुपए पर बंद हुआ। बाजार की ताजा स्थिति के हिसाब से बैंक ऑफ राजस्थान का मूल्य 1500 करोड़ रुपए आंका गया है। लेकिन आईसीआईसीआई बैंक उसे इससे ज्यादा रकम देने को तैयार है।

बैंक ऑफ राजस्थान देश में निजी क्षेत्र के सबसे पुराने बैंकों में से एक है। इसके मौजूदा प्रवर्तक तायल परिवार ने करीब एक दशक पहले इस पर नियंत्रण हासिल किया था। इस समय बैंक की करीब 55 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी उसके पास है और रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिए उसे बैंक में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 10 फीसदी पर लाने की जरूरत है।

इधर कुछ महीनों से बैंक आफ राजस्थान के खिलाफ सेबी और रिजर्व बैंक दोनों ने कार्रवाई की है। मार्च में सेबी ने प्रवर्तकों की तरफ से बैंक ऑफ राजस्थान के शेयर रखने के लिए 100 लोगों/फर्मों को स्टॉक एक्सचेंज में कामकाज से प्रतिबंधित कर दिया था। इससे पहले रिजर्व बैंक ने आईटी सिस्टम से रिकॉर्ड डिलीट करने, एक कॉरपोरेट समूह के खातों में गड़बड़ी व प्रॉपर्टी सौदों में अनियमितता के चलते बैंक ऑफ राजस्थान पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया था। इधर तो पिछले कई महीनों से बैंक पर एक तरह से रिजर्व बैंक का ही कब्जा है। बैंक का सीईओ उसी ने नियुक्त किया है और उसके बोर्ड में पांच निदेशक रिजर्व बैंक द्वारा नामांकित हैं।

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