बैंक अब जन सेवा केंद्रों को भी बना सकते हैं अपने बिजनेस प्रतिनिधि

देश के सभी बैंक अब जन सेवा केंद्रों (कॉमन सर्विस सेंटर या सीएससी) को अपना बिजनेस करेंसपॉन्डेंट या प्रतिनिधि (बीसी) बना सकते हैं। इस साल 20 अप्रैल को पेश मौद्रिक नीति में रिजर्व बैंक ने कहा था कि मौजूदा दिशानिर्देशों के तहत बैंक व्यक्तियों की कुछ चुनिंदा श्रेणियों को ही बीसी बना सकते हैं। इस दायरे को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव है कि बैंकों को सीएससी चलानेवाले व्यक्तियों समेत किसी भी बीसी बनाने की इजाजत दे दी जाए बशर्ते बैंक उसकी योग्यता व क्षमता के बारे में आश्वस्त हों। आज रिजर्व बैंक ने इस प्रस्ताव पर अमल की घोषणा कर दी।

यह पहले ही तय किया जा चुका है कि रिटायर्ड बैंक कर्मचारी, पूर्व सैनिक, रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, रिटायर्ड अध्यापक, किराना स्टोर, राशन की दुकान, मेडिकल स्टोर, पीसीओ ऑपरेटर, सरकार की लघु बचत योजनाओं व बीमा कंपनियों के एजेंट और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के अधिकारी बैंक के बिजनेस संवाददाता बन सकते हैं। असल में रिजर्व बैंक ने तय कर रखा है कि देश में 2000 से ज्यादा आबादी वाले हर गांव तक बैंकिंग सेवाएं पहुंचा दी जाए। उसने मार्च 2010 के अंत तक सभी बैंकों से इस लक्ष्य को हासिल करने का रोडमैप मांगा था। अब वह हर बैंक के साथ इस मसले पर अलग-अलग बातचीत कर रहा है।

जन सेवा केंद्रों समेत लगभग हर श्रेणी के व्यक्ति को बीसी बनाने की पेशकश के जरिए रिजर्व बैंक पूरे देश में बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है। बीसी मॉडल की शुरुआत उसने 2006 में की थी। लेकिन अब तक देश में बैंकों के कितने बिजनेस प्रतिनिधि बनाए जा चुके हैं, इसका कोई स्पष्ट आंकड़ा सामने नहीं आया है। हालांकि खबरों के मुताबिक अगले कुछ सालों में हमारे बैंक दो लाख से ज्यादा बीसी की नियुक्ति करनेवाले हैं। इसमें से भारतीय स्टेट बैंक की योजना अगले दो-तीन सालों में करीब 40,000 बीसी नियुक्त करने की है, जबकि पंजाब नेशनल बैंक 75,000 बीसी रखनेवाला है। यूनियन बैंक के पास पहले से ही 50,000 बीसी हैं और अगले चार सालों में 15,000 नए बीसी रखनेवाला है।

बिजनेस प्रतिनिधि या बीसी ऐसा व्यक्ति या संस्थान होता है जो किसी ब्रांच के बिना सीधे लोगों से जमा इकट्ठा करता है और उन तक बैंकिंग से लेकर दूसरी वित्तीय सेवाएं पहुंचाता है। इस काम में कई माइक्रो फाइनेंस संस्थाएं भी लगी हुई है। देश का सबसे बड़ा बीसी इस समय फिनो है जिसे अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी), एलआईसी, आईसीआईसीआई बैंक और कई अन्य बैंकों ने मिलकर बनाया है।

दूसरी तरफ, सीएससी या जन सेवा केंद्रों का गठन सरकार की नेशनल ई-गवर्नेस योजना (एनईजीपी) के तहत किया गया है। सीएससी के रूप में ग्रामीण इलाकों में एक लाख कियोस्क खोलने का लक्ष्य है। इन केंद्रों पर ई-मेल से लेकर इंटरनेट तक की सुविधा दी जाती है। अक्टूबर 2009 तक देश में 55,000 सीएससी बनाए जा चुके थे। इस स्कीम के लिए एनईजीपी के तहत 1649 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। इस काम में कई एनजीओ भी शामिल किए गए हैं। अमूमन आठ से दस हजार आबादी पर (औसतन 6 गांवों को मिलाकर) एक सीएससी बनाया जाता है। कोई भी व्यक्ति या सहकारी संस्था जन सेवा केंद्र बना सकती हैं। ऐसे एक कैंद्र पर औसत लागत 1.60 लाख रुपए की आती है।

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