बैंकों को हर साल अपने कर्ज का 18 फीसदी हिस्सा कृषि क्षेत्र को देना होता है। इसमें से भी 13.5 फीसदी कर्ज सीधे किसानों को दिया जाना चाहिए। नए साल में कर्ज की राशि बीते वित्त वर्ष 31 मार्च तक वितरित रकम के आधार पर निकाली जाती है। बैंकों के लिए यह लक्ष्य पूरा कर पाना हमेशा मुश्किल होता है। जैसे, 2009-10 में गांवों तक पहुंच रखनेवाला बैंक ऑफ बड़ौदा तक 17 फीसदी ही कृषि ऋण दे पाया है। यह लक्ष्य न पूरा करने पर बैंकों को बची रकम रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड में लगानी पड़ती है जिस पर उन्हें नाबार्ड कृषि ऋण से भी कम ब्याज देता है।
2010-05-13