नतीजे शानदार, एनएचपीसी धराशाई!

जिन भी लोगों को पिछले साल अगस्त में सरकारी कंपनी एनएचपीसी के आईपीओ में शेयर मिले होंगे, वे आज रो रहे होंगे क्योंकि 36 रुपए में मिला वह शेयर कल अपने सबसे निचले स्तर 27.60 रुपए पर पहुंच गया। आखिर 23 फीसदी का नुकसान कोई मामूली नहीं होता! लेकिन अचंभा इस बात का है जिस दिन एनएचपीसी के शेयर की यह दुर्गति हुई है, उसी दिन खबर आई है कि वित्त वर्ष 2009-10 में उसने अब तक का सबसे ज्यादा टर्नओवर और शुद्ध लाभ हासिल किया है। इस दौरान उसका शुद्ध लाभ 1075.22 करोड़ से 94.43 फीसदी बढ़कर 2090.50 करोड़ रुपए हो गया है, जबकि टर्नओवर 2671.85 करोड़ रुपए से 57.90 फीसदी बढ़कर 4218.90 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है।

बता दें कि पिछले साल अगस्त में आया एनएचपीसी का आईपीओ करीब 24 गुना ओवरसब्सक्राइब हुआ था और उसमें 13 लाख से ज्यादा आवेदन आए थे। उसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 1 सितंबर 2009 को बीएसई व एनएसई में लिस्ट हुआ था। वैसे, कंपनी की 1062.33 करोड़ रुपए की इक्विटी में पब्लिक की हिस्सेदारी केवल 13.64 फीसदी है, जबकि उसके 86.36 फीसदी शेयर अब भी सरकार के पास हैं। इसलिए उसके कम से कम 21-22 फीसदी और शेयर पब्लिक के लिए जारी किए जाने हैं।

कंपनी का वित्तीय ही नहीं, सामाजिक कामकाज भी अच्छा चल रहा है। 2009-10 में उसने देश के 2700 गांवों में बिजली पहुंचाई है और गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 6 लाख परिवारों के घरों को रौशन किया है। यह अगर निजी क्षेत्र की कोई कंपनी होती तो आज उसकी बल्ले-बल्ले हो रही होती। लेकिन पक्के ऑर्डरों के नए ढेर पर बैठी इस कंपनी का कोई पुछत्तर ही नहीं है।

हो सकता है कि यह शेयर दुनिया के बाजारों के तेज झोंके में आज भी थोड़ा गिर जाए। लेकिन इसे पकड़ना आम निवेशकों के लिए दूरगामी तौर पर काफी फायदे का सौदा साबित होगा। जिस तरह गांवों में मई-जून के महीने में आंधी या तेज हवाओं के चलते पके हुए आम पेड़ों से टूटकर गिरते हैं और लोगबाग उन्हें बीनने के लिए बोरे लेकर निकल पड़ते हैं, वही हाल इस समय हमारे बहुत सारे अच्छे शेयरों का है। याद रखें, इन्हें अभी बटोर नहीं पाए तो अगला सीजन काफी देर से आएगा।

2 Comments

  1. chamtkar ji aapne Gillender Aburtnot ko khareedne ki salah di thee jab ye 178 ka tha ab iska rate 132 aa gaya hai.ab aapka kya view hai ise aur khareed kar averaging karein ya pade rahne dein?

  2. अमिता जी, पहली बात यह कि चमत्कार चक्री का कॉलम अलग है और निवेश सलाह वाला यह कॉलम अलग। दोनों के लेखक अलग हैं। रही बात गिलैंडर की तो स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम उन्हीं शेयरों की बात पेश करते हैं जिनके फंडामेंटल मजूबत होते हैं। इसीलिए हम कंपनी का पूरा वित्तीय कामकाज भी संक्षेप में पेश करते हैं। अगर हमारी सलाह वाला कोई भी शेयर गिरा हुआ हो तो उसमें एवरेजिंग कर लेनी चाहिए। हमारा मानना है कि इक्विटी में पैसा दूरगामी निवेश के लिहाज से ही लगाना चाहिए। कम से कम दो-तीन साल का लक्ष्य लेकर चलना चाहिए। हां, इस बीच अगर 20-25 फीसदी का रिटर्न मिल गया और इससे आप संतुष्ट हैं तो बेचकर निकल भी लेना चाहिए। घाटे में शेयर कभी नहीं बेचने चाहिए।

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