केंद्र सरकार ने विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के जरिए देश से दालों के निर्यात पर लगा प्रतिबंध 31 मार्च 2011 तक बढ़ा दिया है। लेकिन वाणिज्य मंत्रालय चंद बड़ी व्यापारी फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी (सीसीईए) के जरिए दाल निर्यात की इजाजत दिलवाने की कोशिश में लगा हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय ने पहले से ऐसा प्रावधान कर दिया है कि विशेष आर्थिक ज़ोन में लगी इकाइयां दाल समेत अन्य वस्तुओं का देश से बाहर निर्यात कर सकती हैं, बशर्ते वे इसका कच्चा माल देश में आयात करें और अनुमोदन बोर्ड (बीओए) से पूर्व अनुमति ले लें। बीओए के अध्यक्ष वाणिज्य सचिव राजेश खुल्लर हैं।
असल में वाणिज्य मंत्रालय को लगता है कि अगर वह खुद दालों को देश से बाहर ले जाने की इजाजत देगा तो राजनीतिक बवाल मच सकता है। इसलिए वो यह फैसला आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) से करवाना चाहता है। पिछले ही हफ्ते बीओए की बैठक में दाल निर्यात का मसला सीसीईए में ले जाने का फैसला हुआ है। हुआ यह है कि दो फर्मों – उमा एक्सपोर्ट्स प्रा. लिमिटेड और प्रकाश ओवरसीज ने बीओए से अनुरोध किया था कि उन्हें दालों के निर्यात की इजाजत दी जाए क्योंकि वे दलहन बाहर से आयात करती हैं। लेकिन दोनों के पास एसईजेड में निर्यात इकाई नहीं है। प्रकाश ओवरसीज एक पार्टनरशिप फर्म है। उसने इंदौर के एसईजेड में दाल प्रोसेसिंग की निर्यात इकाई लगाने के लिए सरकार के पास अर्जी भी लगा रखी है। जबकि उमा एक्सपोर्ट्स ने पश्चिम बंगाल के फाल्टा एसईजेड में दालों के अंतरराष्ट्रय व्यापार की इकाई लगाने की इजाजत मांगी है।
इन फर्मों ने अपने आवेदन में कहा है कि वे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, अफ्रीका व दुबई से तीन दशकों से भी ज्यादा वक्त से दालें आयात करते रहे हैं। गौरतलब है कि इस समय देश के विभन्न हिस्सों में 105 एसईजेड काम कर रहे हैं। यहां की इकाइयों को निर्यात के लिए विशेष प्रोत्साहन व सुविधाएं दी जाती हैं।
लेकिन जिस तरह वाणिज्य मंत्रालय देश में दालों की उपलब्धता के बजाय चंद फर्मों के व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने की कोशिश में लगा है, वह काफी चौंकानेवाला है।
कृषि राज्यमंत्री के वी थॉमस की तरफ से पिछले हफ्ते राज्यसभा में दिए गए बयान के मुताबिक 2009-10 में देश में दालों की मांग 182.8 लाख टन रही है, जबकि उत्पादन 147.6 लाख टन का ही रहा है। इस तरह बाकी 35 लाख टन की मांग बाहर से आयात से पूरी करनी पड़ेगी। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में दालों की घरेलू मांग 190.8 लाख टन और अगले साल 2011-12 में 199.1 लाख टन हो जाने का अनुमान है। वैसे, बता दें कि
सरकार ने आज ही 9000 टन दालों के आयात के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं।