यूरो जोन में चल रहे संकट के चलते भारतीय रुपया डॉलर के सापेक्ष मंगलवार को करीब आठ महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। यह बंद तो हुआ 47.71/72 रुपए प्रति डॉलर की विनिमय दर पर, लेकिन दिन में एक समय 47.75 तक चला गया था जो 1 नवंबर 2009 का स्तर है। सोमवार को रुपए की विनिमय दर 46.98/99 प्रति डॉलर थी। असल में व्यापारियों के मुताबिक इसकी प्रमुख वजह यह है कि यूरो डॉलर के सापेक्ष करीब साढ़े चार सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है।
इस हफ्ते के पहले दो दिनों में रुपया डॉलर के सापेक्ष 1.6 फीसदी गिर चुका है। पिछले हफ्ते इसमें 3.8 फीसदी की गिरावट आई थी जो करीब 14 साल में आई सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट थी। इससे पहले जुलाई 1996 के मध्य हफ्ते में डॉलर के सापेक्ष रुपए में 11.7 फीसदी की भारी गिरावट आई थी।
रुपए में चल रही गिरावट को भी शेयर बाजार में चल रही गिरावट से जोड़कर देखा जा रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मई में अब तक 200 करोड़ डॉलर भारतीय शेयर बाजार से निकाल चुके हैं। इसको मिलाकर 2010 की शुरुआत से अब उनके द्वारा निकाला गया निवेश 460 करोड़ डॉलर पर पहुंच चुका है। रुपए की कमजोरी से आयातक दुखी हैं क्योंकि अब उनका खर्च बढ़ जाएगा। बता दें कि देश में सबसे ज्यादा आयात कच्चे तेल का होता है और स्थानीय मुद्रा बाजार में डॉलर के सबसे बड़े खरीदार रिफाइनरी वाले ही हैं। असल में इधर आयातकों की तरफ से डॉलर की मांग बढ़ी है।
करेंसी फ्यूचर बाजार की बात करें तो मंगलवार को एनएसई में डॉलर-रुपए का सौदा 47.88 और एमसीएक्स एसएक्स में 47.8775 रुपए पर बंद हुआ। दोनों एक्सचेंजों में कारोबार का कुल मात्रा 780 करोड़ डॉलर दर्ज की गई।