मैंने आपसे बोला था कि ओएनजीसी एक ही सत्र में 100 रुपए बढ़ जाएगा और प्राकृतिक गैस के मूल्य (एपीएम) पर सरकार के फैसले ने ऐसा कर दिखाया। ओएनजीसी का शेयर बीएसई में 112.50 रुपए तक बढ़ गया। हालांकि बंद हुआ 89.70 रुपए बढ़कर 1118.20 रुपए पर।
बढ़ती अनिश्चितता के बीच भी निवेशक बने रहना बहादुरी का काम है। असल में समझदार लोगों को ऐसे दौर में खरीद करनी और बढ़ानी चाहिए। दिक्कत है कि शेयर बाजार के 95 फीसदी ट्रेडर इसके अलावा कोई न कोई दूसरा बिजनेस भी करते हैं। केवल 5 फीसदी हैं जो केवल शेयर बाजार से जुड़े हैं।
इस व्यवसाय़ में उतार-चढ़ाव पूरे उद्योग के चक्र का हिस्सा है और हम इसे अपने फायदे में इस्तेमाल करते हैं। पार्टटाइम ट्रेडिंग करनेवाले लोग माहौल बदलते ही भागने लगते हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि वे भ्रमित रहते हैं और उनमें इस काम के लिए जरूरी योग्यता नहीं होती।
मानसून से लेकर मुद्रास्फीति और अब राजकोषीय घाटा तक काबू में आने लगा है। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार एक ही मौका दे रहे हैं और वह है खरीद का। अगर बाजार में गिरावट आई है तो इसे ऊपरवाले की मेहरबानी मानिए कि वह हमें खरीद का मौका उपलब्ध करा रहा है। इस वाक्य तो काटकर रख लें क्योंकि दो महीने बाद मैं इसका जिक्र करने जा रहा हूं।
रोलओवर में थोड़ी तकलीफ होनी लाजिमी है। यूरोप से लेकर अन्य समस्याओं से बाजार अच्छी तरह वाकिफ हो चुका है। अगर हांगकांग के बाजार में 300 अंक का करेक्शन आ सकता है तो रोलओवर के चलते भारतीय बाजार में 500 अंकों का करेक्शन आ ही सकता है। भारत इस समय सबसे आगे है। हम पश्चिमी देशों की बनिस्बत ज्यादा रफ्तार से आगे बढ़ेंगे।
अब यहां के बाद मेटल सेक्टर के शेयरों में भारी उछाल की संभावना है। बाजार में जो भी करेक्शन चल रहा है, वह भावनाओं या मानसिकता के चलते है, फंडामेंटल या मूलाधार के चलते नहीं। ऐसे में बाजार जब भी गिरे, हमें अपनी खरीद बढ़ा देनी चाहिए।
बाजार आपके धैर्य का इम्तिहान लेता है और भरोसा रखने पर ईनाम देता है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है । लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)