पिछले साल मार्च की तुलना में इस बार एक चौथाई ही मिला कर्ज। दुनिया में छाए आर्थिक संकट के चलते भारतीय कंपनियों के लिए विदेश से उधार लेने का स्रोत सूखता जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2009 में 42 कंपनियों या वित्तीय संस्थानों ने विदेशी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) के जरिए 111.38 करोड़ डॉलर ही जुटाए हैं, जबकि मार्च 2008 में 50 कंपनियों या वित्तीय संस्थानों ने 447.67 करोड़ डॉलर जुटाए थे। इस तरह इस मार्च में ईसीबी से जुटाए गई राशि पिछले मार्च की अपेक्षा एक चौथाई भर रह गई है। अगर इस बार के आंकड़े में से 10.5 करोड़ डॉलर के विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों (एफसीसीबी) के बायबैक को घटा दिया जाए तो विदेशी कर्ज की मात्रा घटकर 100 करोड़ डॉलर के आसपास ही रह जाती है। इसमें से भी 50 करोड़ डॉलर का कर्ज तो अकेले एयरसेल ने जुटाया है।
इस साल मार्च में एफसीसीबी का सबसे ज्यादा बायबैक जेएसडब्ल्यू स्टील ने किया है। उसने रिजर्व बैंक की इजाजत से तीन चरणों में कुल 5.5 करोड़ डॉलर के एफसीसीबी वापस खरीदे हैं। इसके अलावा ऑटोमेटिक रूट से एरा इफ्रा इंजीनियरिंग, ग्रैबाल आलोक इम्पेक्स, सिंभावली शुगर्स व केईआई इंडस्ट्रीज ने एक-एक करोड़ डॉलर और ऑर्किड केमिकल्स ने दो करोड़ डॉलर के एफसीसीबी वापस खरीदे हैं। ईसीबी से सबसे ज्यादा 50 करोड़ डॉलर का कर्ज एयरसेल ने जुटाया है। इसके बाद 13.66 करोड़ डॉलर जुटाकर नेशनल एविएशन कंपनी दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा गुजरात अल्कली केमिकल्स ने 4 करोड़ डॉलर, होंडा सिएल कार्स व ओरिएंट पेपर्स ने 2-2 करोड़ डॉलर, हिमाद्रि केमिकल्स ने 1.25 करोड़ डॉलर और गॉडफ्रे फिलिप्स ने 1.2 करोड़ डॉलर का कर्ज ईसीबी से हासिल किया है।
असल में सितंबर 2008 में वैश्विक संकट के उजागर होने तक हालत ज्यादा खराब नहीं हुई थी। उस महीने भारतीय कंपनियों ने ईसीबी के जरिए 283.49 करोड़ डॉलर जुटाए थे, जिसमें से 37.02 करोड़ डॉलर ऑटोमेटिक रूट से और 246.47 करोड़ डॉलर अनुमोदन रूट यानी रिजर्व बैंक से इजाजत लेकर जुटाए गए थे। इससे पहले जुलाई 2008 में स्थिति ठीकठाक थी, जब ईसीबी से 232.70 करोड़ डॉलर का विदेशी उधार भारतीय कॉरपोरेट क्षेत्र को मिला था।
लेकिन दिसंबर 2008 आते-आते विदेशी कर्ज के स्रोतों का सूखना शुरू हो गया। रिजर्व बैंक ज्यादा ही चौकन्ना हो गया। ऑटोमेटिक रूट से आए 158.21 करोड़ डॉलर की बदौलत कुल ईसीबी प्रवाह 166.91 करोड़ डॉलर का रहा। लेकिन मार्च 2009 में ऑटोमेटिक रूट से 85.67 करोड़ और अनुमोदन रूट से 25.71 करोड़ डॉलर का ही विदेशी उधार देश में आ पाया।