यूं तो संसद में पेश किया गया कटौती प्रस्ताव सरकार के लिए काफी खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसके पारित होने पर सरकार गिर सकती है। इसे अनुदान मांगों या किसी प्रस्ताव के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश किया जाता है। लेकिन इसकी कामयाबी का सारा दारोमदार लोकसभाध्यक्ष पर है। अगर उन्होंने कटौती प्रस्ताव पर सदन में मतदान की इजाजत नहीं दी तो मूल प्रस्ताव या अनुदान मांगों को ही पारित मान लिया जाता है। मान लिया जाता है कि कटौती प्रस्ताव सदन ने नामंजूर कर दिया है। इसीलिए बीजेपी सदन में मत-विभाजन की मांग कर रही है।
2010-04-27
ये एक नई जानकारी है मेरे लिए.