शायद आपको नहीं पता है कि अब कोई भी डॉक्टर दवा कंपनियों ने न तो फ्री गिफ्ट ले सकता है और न ही उसके द्वारा स्पांसर की गई यात्रा पर जा सकता है। इसके लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने दोषी डॉक्टरों के नाम अपने रजिस्टर से काट देने की सजा रखी है जिसके बाद कोई भी डॉक्टर कानूनी रूप से प्रैक्टिस नहीं कर सकता। इस समय एमसीआई उन 200 डॉक्टरों का नाम पता ढूंढने में लगी हुई है जिन्हें हाल ही में पिरामल हेल्थकेयर और डॉ. रेड्डीज लैब्स डायबिटीज पर हुई एक कांफ्रेंस के लिए तुर्की की राजधानी इस्ताम्बुल ले गई थीं।
एमसीआई तहकीकात के लिए इन डॉक्टरों के नाम पते चाहता है। लेकिन दवा कंपनियां उन्हें बताने को तैयार नहीं हैं। एमसीआई उन्हें बताने के लिए मजबूर भी नहीं कर सकता क्योंकि दवा कंपनियां डीसीजीआई (ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया) के अधीन आती है। इसीलिए एमसीआई के प्रेसिडेंट डॉ. केतन देसाई की तरफ से डीजीसीआई को एक पत्र भेजा गया है। इसमें अनुरोध किया गया है कि वे पता लगाएं कि ये कंपनियां किन 200 डॉक्टरों को तुर्की ले गई थीं और इस यात्रा का मकसद क्या था।
डॉक्टरों के बारे में एमसीआई का नियम यह है कि अगर कोई डॉक्टर दवा कंपनी से 1000-5000 रुपए तक की गिफ्ट लेता है तो पहली बार उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा। गिफ्ट अगर 5000-10000 रुपए तक का है तो डॉक्टर का नाम एमसीआई के रजिस्टर से तीन महीने के लिए काट दिया जाएगा। 10000-50000 पर नाम छह महीने के लिए काटा जाएगा। इसके ज्यादा के गिफ्ट लेनेवालों के नाम एक साल से ज्यादा अवधि के काटे जा सकते हैं। वैसे, यह नियम केवल डराने के लिए है। हकीकत में इसे लागू कर पाना बेहद मुश्किल है। वैसे, आप मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की साइट पर दवा कंपनियों से घूस लेनेवाले डॉक्टरों की शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।