दुनिया के सबसे बड़े निवेशक जॉर्ज सोरोस का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में चल रही तेजी में अगर कोई रुकावट है तो वह है मुद्रास्फीति का मंडराता खतरा। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें बढ़ाकर इसी खतरे का कम करने की कोशिश की है। मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा के बीच में रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो दर 0.25 फीसदी बढ़ाकर 6 फीसदी और रिवर्स रेपो दर को 0.50 फीसदी बढ़ाकर तत्काल प्रभाव से 5 फीसदी कर दिया।
इसका मतलब यह हुआ कि चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत बैंक अगर रिजर्व बैंक से सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में उधार लेते हैं तो उन्हें 6 फीसदी सालाना की दर से ब्याज देना होगा, जबकि अगर वे अपनी रकम रिजर्व बैंक के पास रखकर उससे सरकारी प्रतिभूतियां लेते हैं तो रिजर्व बैंक उन्हें 5 फीसदी सालाना की दर से ब्याज देगा। एलएएफ के तहत रिजर्व बैंक सप्ताह में एक, सप्ताहांत पर तीन और छुट्टियां पड़ जाने पर इससे ज्यादा दिनों के लिए बैकों को धन मुहैया कराता या उनसे लेता है। ऐसा बैंकों की तात्कालिक लिक्विडिटी को बढ़ाने या सोखने के लिए किया जाता है।
इससे कॉल मनी बाजार की ब्याज दरों का गहरा ताल्लुक होता है। साथ ही इससे रिजर्व बैंक संकेत देता है कि ब्याज दरें बढ़नी या घटनी चाहिए। इस समय चूंकि बैंक रिजर्व बैंक के पास रिवर्स रेपो के तहत धन नहीं जमा कराने के बजाय रेपो के तहत उधार ले रहे हैं, इसलिए प्रभावी नीतिगत दर रेपो हो गई है जो आज से बढ़ाकर 6 फीसदी कर दी गई है। रिजर्व बैंक का तर्क है कि ब्याज दरें बढ़ने से धन की मांग घटेगी जिससे उसका प्रवाह कम होगा। धन का प्रवाह घटने से उपभोग घटेगा। उपभोग घटने से माल व सेवाओं की सप्लाई उतनी ही रहने पर उनकी मांग घट जाएगी और मांग घट जाने से मुद्रास्फीति में कमी आ जाएगी। अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 8.5 फीसदी रही है। जबकि रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के आखिरी महीने मार्च 2011 के लिए मुद्रास्फीति का लक्ष्य 6 फीसदी रखा हुआ है।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरें बढ़ाने को सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है। हालांकि उनका कहना था कि मुद्रास्फीति का दबाव अब भी बना हुआ है। दूसरी तरफ प्रमुख उद्योग संगठन कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) ने कहा कि बैंक तो पहले से ही कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं। अब वे इसे और बढ़ा देंगे जिससे उद्योग को क्षमता विस्तार करना मुश्किल हो जाएगा। यहां तक कि कुछ मौजूदा परियोजनाएं अब अव्यवहार्य हो सकती हैं।
लेकिन बैंक अधिकारियों की मानें तो ब्याज दरों में तत्काल कोई वृद्धि नहीं होने जा रही है। बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी ए प्रभाकर का कहना है कि बैंक इस वृद्धि को ग्राहकों तक पास करने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन तत्काल ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा। हां, जमाकर्ताओं की अपेक्षा अब बढ़ जाएगी तो वे चाहेंगे कि हम जमा पर ब्याज दर कम से कम 0.25 फीसदी बढ़ा दें। विजया बैंक के सीएमडी अलबर्ट टॉरो भी कहते हैं कि 30 सितंबर से पहले कर्ज पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी। इलाहाबाद बैंक के सीएमडी जे पी दुआ का कहना है कि मुद्रास्फीति पर चिंता जायज है, लेकिन उन्हें रिवर्स रेपो में 0.50 फीसदी वृद्धि की उम्मीद नहीं थी।
आगे क्या होगा, इस बारे में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का कहना है कि अभी रिजर्व बैंक ब्याज दरों में और भी वृद्धि कर सकता है। क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी के फंड मैनेजर अरविंद चारी का कहना है कि रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दरों में एक फीसदी का अंतर बनाकर कॉल मनी में ब्याज दरों का दायरा घटाकर एक फीसदी कर दिया है। अभी तक यह 1.25 फीसदी (रेपो 5.75 – रिवर्स रेपो 4.50) था।
रिजर्व बैंक ने अपनी तरफ से कहा कि हाल के महीनों में तरलता का मसला मौद्रिक नीति के उपायों के लिए अहम रहा है। जुलाई में किए गए उपायों से अधिक तरलता की स्थिति अब तरलता की कमी में तब्दील हो गई है। अब रिजर्व बैंक के नीतिगत उपाय नीचे तक भी पहुंचने लगे हैं। जुलाई के बाद 40 बैंकों ने जमा पर और 26 बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं।