बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ का शिखर सम्मेलन गुरुवार से शुरू हो गया। यह शुक्रवार तक चलेगा। इसमें यूरो को बचाने पर चर्चा होगी। इस बीच जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि वे कोई घटिया समझौता करने को तैयार नहीं हैं। वे यूरोपीय संघ की संधि में संशोधन की मांग पर अड़ी हुई हैं।
मुश्किल यह भी है कि सारी दुनिया में निराशा छा गई है कि सम्मेलन से कुछ खास निकलनेवाला नहीं है। स्विटजरलैंड की वित्तीय सेवा कंपनी यूबीएस की एक रिपोर्ट ने निराशा को और गहरा कर दिया कि यूरो का टूटना यूरोप में गृह-युद्ध को भड़का सकता है।
खबरों के अनुसार जर्मन चांसलर 27 सदस्यों वाले यूरोपीय संघ में 17 यूरो देशों के अलावा अन्य देशों की सहमति का स्वागत करेंगी। लेकिन यूरो मुद्रा चलाने वाले 17 सदस्य देशों की सहमति जरूरी होगी। लेकिन यूरोपीय संघ की संधि में संशोधन की मांग का विरोध भी हो रहा है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने संधि में संशोधन के मुद्दे पर कड़ी सौदेबाजी के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वे किसी भी ऐसे संशोधन पर दस्तखत नहीं करेंगे जिसमें ब्रिटिश हितों की सुरक्षा की गारंटी न हो। संसद में उनका कहना था कि वे ‘बुलडॉग वाले तेवर’ के साथ ब्रसेल्स जा ऱहे हैं।
जर्मन चांसल मैर्केल और फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सारकोजी ने यूरो स्थिरता नियमों को संधि में शामिल किए जाने के अपने प्रस्ताव को यूरोपीय संघ को भेज दिया है। यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमन फान रोमपॉय को भेजे गए एक साझा पत्र में उन्होंने लिखा है, “हमे लगता है कि हमें फौरन कदम उठाने चाहिए।”
पिछले सोमवार को ही दोनों नेताओं ने पेरिस में संधि में संशोधन का पक्ष लिया था। अपने आप लगने वाले प्रतिबंधों के डर से सदस्य देश आर्थिक स्थिरता की राह पर चलेंगे। संघ के दो बड़े देशों के प्रस्ताव पर छोटे देश खफा हैं। वे उनके आदेश पर नहीं चलना चाहते। इसकी वजह से सहमति इतनी आसान नहीं होगी।