सुमीत इंडस्ट्रीज: एक दिन में सू-सां!

ऐसा कैसे हो सकता है कि एक दिन कोई शेयर 52 हफ्ते का शिखर बनाए और अगले ही दिन 20 फीसदी के निचले सर्किट का शिकार हो जाए? लेकिन सुमीत इंडस्ट्रीज के साथ ऐसा ही हुआ है। बुधवार, 11 मई को उसने वित्त वर्ष 2010-11 और मार्च 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए जो वाकई काफी जानदार-शानदार हैं। शेयर ऐसा उछला कि 42.30 रुपए पर पहुंच गया। लेकिन अगले ही दिन यानी, कल यह बीएसई (कोड – 514211) और एनएसई (कोड – SUMEETINDS) दोनों में 20 फीसदी धसक गया।

न कोई खबर, न कोई चर्चा। ऊपर से देखने पर इसकी कोई वजह नहीं समझ में आती। कंपनी के नतीजे तो जबरदस्त रहे हैं। मार्च तिमाही में उसने 250.65 करोड़ रुपए की आय पर 10.48 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। साल भर पहले इसी अवधि में उसकी आय 134.90 करोड़ व शुद्ध लाभ 2.30 करोड़ रुपए था। इस तरह सालाना तुलना में उसकी आय 85.8 फीसदी और शुद्ध लाभ 355.65 फीसदी बढ़ा है। दिक्कत यह है कि मनीकंट्रोल के किसी मूर्ख-शिरोमणि ने लिख दिया है कि चौथी तिमाही में सुमीत इंडस्ट्रीज का शुद्ध लाभ 23 करोड़ से घटकर 10.5 करोड़ रह गया है। हो सकता है कि मनीकंट्रोल की यह ‘खोज’ शेयर पर निचला सर्किट लगने का कारण रही हो!

वैसे, देश की टेक्सटाइल नगरी सूरत की यह कंपनी अपने-आप में ठीकठाक है। 1989 में बनी। 1992 में पॉलिप्रॉपिलीन संयंत्र चालू किया। 2004 में पॉलिएस्टर यार्न भी बनाने लगी। 2005 में फैब्रिक की बुनाई का काम शुरू कर दिया। 2006 से वह मेंथॉल या पीपरमेंट के धंधे में भी उतर गई। उसका 90 फीसदी माल देश में खपता है और 10 फीसदी उत्पादन वह निर्यात करती है। 2010-11 में उसने 821.82 करोड़ रुपए की आय पर 30.51 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। उसके बढ़ने की रफ्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि साल भर पहले 2009-10 में उसकी आय 376.04 करोड़ और शुद्ध लाभ 10.85 करोड़ रुपए था। साल भर में आय का 118.55 फीसदी और शुद्ध लाभ का 181.19 फीसदी बढ़ जाना मायने रखता है।

फिर भी इतने अच्छे नतीजों के ठीक एक दिन बाद शेयर क्यों धराशाई हो गया? बात सीधी है कि कुछ लोगों ने इसमें मुनाफावसूली की होगी, जमकर शेयर बेचे होंगे। लेकिन कौन हैं वे कलाकार? कुछ भी साफ पता नहीं चलता। बीएसई में कल गुरुवार को इसके 9.53 लाख शेयरों में ट्रेडिंग हुई जिसमें से 3.48 लाख शेयर (36.45 फीसदी) डिलीवरी के लिए थे। वहीं एनएसई में कल ट्रेड हुए 13.47 लाख शेयरों में से 4.21 लाख शेयर (31.29 फीसदी) डिलीवरी के लिए थे।

लेकिन इसमें कोई अनहोनी नहीं दिखती। इसके एक दिन पहले 11 फरवरी में बीएसई में इसके 15.90 लाख (डिलीवरी 24.06 फीसदी) और एनएसई में 29.87 लाख (डिलीवरी 14.60 फीसदी) शेयरों के सौदे हुए थे। असल में इस स्टॉक में 19 अप्रैल से अचानक सक्रियता बढ़ी है। हर दिन बीएसई व एनएसई में इसके लाखों शेयरों के सौदे होते रहे। लगता यही है कि कुछ ऑपरेटर इसे अंदर की खबरों के आधार पर बटोरते रहे। उनकी औसत खरीद 30-32 रुपए के आसपास रही होगी।

नतीजों की घोषणा के बाद शेयर 42.30 रुपए पर पहुंचा तो अगले दी दिन इन कलाकारों ने खटाखट बेचकर 20-30 फीसदी का मुनाफा बटोर लिया। यह एक तरह की इनसाइडर ट्रेडिंग हैं, जिसे सेबी व स्टॉक एक्सचेंज चाहें तो अपने अत्याधुनिक निगरानी सिस्टम से फौरन पकड़ सकते हैं। लेकिन असली सवाल तो यही है कि वे चाहेंगे ही क्यों?

एक बात और नोट करने की है कि खुद को मल्टीबैगर (कई गुना बढ़ने की क्षमतावाले) स्टॉक्स खोजने की विशेषज्ञ बतानेवाली एक फर्म एचबीजे कैपिटल डेढ़ साल से सुमीत इंडस्ट्रीज का ढोल पीट रही है। नवंबर 2009 में उसने इस स्टॉक को उठाया था, तब यह 12-13 रुपए पर था। उसका दावा था कि यह 18 महीनों के भीतर 110-120 रुपए पर पहुंच जाएगा। 18 महीने हो चुके हैं और यह एक ही दिन में 42.30 रुपए से घटकर 29.70 रुपए पर आ गया है।

हमारी यही सलाह है कि मल्टीबैगरों के चक्कर में न पड़ें। हम आप जैसे आम निवेशकों को आमतौर पर इनसे कुछ नहीं मिलता। हां, इन्हें फेंकनेवालों के मनी-बैग जरूर इस दौरान मल्टी टाइम्स बढ़ जाते हैं। शांति से, धैर्य से निवेश करना चाहिए। अगर रातोंरात धन कमाना चाहते हैं तो शुद्ध लॉटरी खेलिए। शेयर बाजार में समय क्यों बरबाद कर रहे हैं?

सुमीत इंडस्ट्रीज के चेयरमैन शंकर लाल सोमानी का दावा है कि क्षमता विस्तार का असर अगले दो सालों तक जारी रहेगा और चालू वित्त वर्ष 2011-12 में कंपनी की बिक्री 900 करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगी। ताजा नतीजों के बाद कंपनी का प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 7.63 रुपए है। इस लिहाज से उसका शेयर 29.70 रुपए के मौजूदा स्तर पर मात्र 3.89 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। आप चाहें तो इसमें साल-दो साल के लिए निवेश कर सकते हैं। लेकिन जिस स्टॉक में पंटर लोग घुसे हों, वह कब चकरघिन्नी बन जाएगा, कहा नहीं जा सकता। मुझे लगता है कि हमें ऐसे स्टॉक्स में खुद चकरघिन्नी नहीं बनना चाहिए। सेबी और स्टॉक एक्सचेंज अपना सिस्टम दुरुस्त कर लें, तब की तब देखी जाएगी।

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