जो चीजें प्रिय हों, उनकी उपेक्षा कतई नहीं की जानी चाहिए। उनकी देखरेख नहीं टाली जा सकती। नहीं तो गर्द-गुबार और समय के झंझावातों में वे ऐसी गुम हो जाती हैं कि लाख खोजने पर भी नहीं मिलतीं।
2011-05-13
जो चीजें प्रिय हों, उनकी उपेक्षा कतई नहीं की जानी चाहिए। उनकी देखरेख नहीं टाली जा सकती। नहीं तो गर्द-गुबार और समय के झंझावातों में वे ऐसी गुम हो जाती हैं कि लाख खोजने पर भी नहीं मिलतीं।
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