मुझे बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मंदड़ियों ने पीछे भारी धक्का खाने के बावजूद अभी तक कोई सबक नहीं सीखा है। शॉर्ट सौदे करना उनका शौक बन गया है। टाटा स्टील में पैंट उतर जाने के बाद अब वे एसबीआई पर हाथ आजमा रहे हैं और उन्हें लगता है कि यह शॉर्ट सेल के लिए सबसे अच्छा काउंटर है। उनका साफ-साफ तर्क यह है कि एसबीआई का स्टॉक 2950 रुपए के भाव पर बहुत महंगा है। मजे की बात यह है कि एसबीआई आज 2999.95 रुपए पर 52 हफ्ते के नए शिखर पर पहुंच गया और बंद हुआ 2982.50 रुपए पर।
अपने इन दोस्तों से मुझे कहना है कि प्यारे मोहन! एसबीआई हीरो है और सरकार की कंपनी है। सरकार ने इसमें 49 फीसदी एफआईआई हिस्सेदारी की इजाजत देने से पहले इसे 5000 रुपए के ऊपर ले जाने की योजना बना रखी है। यह दुनिया के टॉप-100 बैंकों में शामिल है। हालांकि मूल्यांकन के लिहाज से यह 800 से 900 के दायरे में। आपकी चिंता यह तथ्य और बढ़ा सकता है कि इस स्टॉक की औकात 10,000 रुपए की है। हालांकि यह भी सच है कि आईडीबीआई बैंक तीन सालों में एसबीआई की जगह ले लेगा। दो साल पहले मैंने आईडीबीआई के 700 रुपए तक जाने के बारे में लिखा था। लेकिन निवेशक मेरी बात को नहीं समझ सके। राकेश ने यह स्टॉक 100 रुपए के भाव से बड़े पैमाने पर खरीदा है। पिछले छह महीनों से उसने इसे जमने का मौका दिया और अब कदम ब्रेक आउट की दिशा में हैं।
इतना तय मानिए कि आईडीबीआई अगले दो सालों में 700 रुपए को छू जाएगा और तब आप मेरी नजर व उपलब्धि की दाद देंगे। जो मुझे पिछले सात सालों से जानते हैं, उन्हें जरूर याद होगा कि एसबीआई को मैने 240 रुपए पर पकड़ा था। और, एफआईआई सेगमेंट में 1100 रुपए के भाव पर सीएलएसए ने इसके 10.70 लाख शेयरों की ब्लॉक डील मेरे ही जरिए की थी। अगर आप शॉर्ट होना ही चाहते हैं तो कोई कमजोर स्टॉक चुनिए और इस समय इसके लिए आपको हीरो होंडा से बेहतर कोई स्टॉक नहीं मिलेगा। 26 फीसदी इक्विटी के सौदे के लिए इसका इंटरप्राइस वैल्यू (ईवी) 22,000 करोड़ रुपए रखा गया है। बाकी की गिनती आप खुद ही कर लो।
एक और दुख की बात मैंने पाई है कि निफ्टी के 2800 से 5600 तक पहुंचने के दौरान ट्रेडरों ने कभी पैसा नहीं बनाया। किसी को यकीन ही नहीं था कि बाजार 5600 को पार कर जाएगा। तमाम विशेषज्ञ ज्यादा से ज्यादा यही कह रहे थे कि ये रजिस्टेंस लेवल है और वो रजिस्टेंस लेवल है। असल में उन्होंने कभी बाजार और अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स को समझा ही नहीं। मैंने इस साल जनवरी से लिखना शुरू किया और जुलाई तक लिखता रहा कि बाजार के बढ़ने की गति पहले धीमा रहेगी और फिर सुपर एक्सप्रेस बन जाएगी। कारण यह है कि ऑपरेटरों के पास इस समय कुल बाजार पूंजीकरण का 27 फीसदी हिस्सा है और बाजार के बढ़ने पर सबसे ज्यादा फायदा इसी तबके को होगा। एफआईआई के पास 16 फीसदी हिस्सेदारी है और रिटेल के पास मात्र 8 फीसदी। निफ्टी यहां से 6280 की मंजिल महज दो महीनों में हासिल कर लेगा।
बाजार रॉकेट की रफ्तार पकड़ने जा रहा है। कल सीएनआई ने स्ट्रीट कॉल्स में वैकरांगी सॉफ्टवेयर्स को 207 रुपए पर खरीदने की सलाह दी और आज यह 226 रुपए तक चला गया। आगे ऐसा हर एक स्टॉक में होने जा रहा है। इसलिए निफ्टी से प्यार-मोहब्बत छोड़कर अलग-अलग शेयरों का रुख कीजिए। कोई स्टॉक एक दिन में 20 फीसदी बढ़ सकता है, लेकिन निफ्टी का 2 फीसदी बढ़ना भी दूभर है। अब मर्जी आपकी कि आप इनमें से क्या चुनते हैं।
त्रिवेणी ग्लास, ब्रशमैन इंडस्ट्रीज, विम प्लास्ट, विंडसर, एसएनएल बियरिंग्स, क्विंट्रेगा, एमएसपी, विष्णु केमिकल्स और आईओएल नेटकॉम वगैरह पर नजर रखिए। इसी तरह ए ग्रुप में इस्पात, आईडीएफसी, आईडीबीआई, एचसीसी, एचडीआईएल, सेंचुरी, आरआईएल, एससीआई, मारुति और एस्सार ऑयल को अपनी नजरों से ओझल मत होने दीजिए।
पच्चीस साल की उम्र में हर किसी के पास प्रतिभा होती है। बात तो तब है जब यह पचास की उम्र में भी कायम रहे।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)