अमेरिका में एच-1बी और एल-1 वीजा शुल्क में भारी वृद्धि का प्रस्ताव 14 अगस्त से प्रभावी हो गया है। इस वृद्धि से भारतीय आईटी कंपनियों पर सालाना 25 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। अमेरिका के इस कदम का भारत ने विरोध किया है। भारत का कहना है कि सीमा सुरक्षा विधेयक के तहत वीजा शुल्क में की गयी यह वृद्धि उसकी कंपनियों के लिए भेदभावपूर्ण है।
बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले शनिवार को सीमा सुरक्षा विधेयक पर दस्तखत किया। इसके तहत अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के उपाय किए गए हैं। यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विसेज (यूएससीआईएस) ने कहा कि अब एच-1बी वीजा के लिए आवेदकों से 2000 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क और एल-1ए और एल-1बी वीजा आवेदन के लिए 2250 डॉलर का शुल्क लिया जाएगा। ये दरें 30 सितंबर 2014 तक प्रभावी रहेंगी।
विधेयक के कछ प्रावधानों पर भारत की चिंता की अनदेखी करते हुए अमेरिकी सीनेट ने पिछले सप्ताह इस विधेयक को पारित कर दिया। उसके बाद ओबामा ने इस पर अपनी मंजूरी दे दी। इस विधेयक के तहत अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर 60 करोड़ डॉलर की सुरक्षा योजना को मंजूरी दी गई है।