राजस्थान के बाडमेर इलाके में बड़े पेट्रोलियम तेल भंडार की मालिक, केयर्न इंडिया शेयर बाजार से डीलिस्ट हो सकती है। समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीओ) के अनुसार वेदांता समूह केयर्न इंडिया की 51 फीसदी हिस्सेदारी 800-850 करोड़ डॉलर (37250 करोड़ रुपए से 39590 करोड़ रुपए) में खरीदने जा रहा है। इस सौदे की औपचारिक घोषणा अगले हफ्ते सोमवार को हो सकती है। कंपनी में नियंत्रकारी स्थिति हासिल करने के बाद वेदांता समूह केयर्न इंडिया को बीएसई और एनएसई से डीलिस्ट करा सकता है।
वेदांता समूह अभी तक कॉपर, एल्यूमीनियम और जिंक जैसी धातुओं के कारोबार में संलग्न है। स्टरलाइट इंडस्ट्रीज और हिंदुस्तान जिंक उसकी प्रमुख कंपनियां हैं। लेकिन पिछले दो सालों से वह तेल और प्राकृतिक गैस जैसे नए कारोबार में उतरने की कोशिश में लगा हुआ था। इसी का नतीजा समूह की कंपनी वेदांता रिसोर्सेज द्वारा केयर्न इंडिया के अधिग्रहण के रूप में सामने आनेवाला है।
वॉल स्ट्रीट जनरल की एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार केयर्न इंडिया के सीईओ राहुल धीर ने शुक्रवार को पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा है कि कंपनी की मूल ब्रिटिश प्रवर्तक केयर्न एनर्जी भारत से पूरी तरह निकलेगी तो नहीं, लेकिन वेदांता रिसोर्सेज के साथ भारतीय कंपनी की हिस्सेदारी बेचने की शुरुआती बातचीत चल रही है। राहुल धीर का कहना था कि अगर कोई रणनीतिक शेयरधारक आ रहा है तो इससे इस बिजनेस (तेल व गैस) में उनके भरोसे व विश्वास का ही इजहार होता है।
बता दें कि केयर्न इंडिया में ब्रिटिश प्रवर्तक केयर्न एनजी की इक्विटी हिस्सेदारी 62.37 फीसदी है, जबकि मलयेशिया की सरकारी कंपनी पेट्रोनास की हिस्सेदारी 14.94 फीसदी है। केयर्न इंडिया का गठन दिसंबर 2006 में उस समय हुआ था जब केयर्न एनर्जी ने राजस्थान में पाए गए प्रमुख तेल भंडारों को अलग कंपनी में डालने का फैसला किया था और इसका आईपीओ लाया गया था। कंपनी के शेयर 9 जनवरी 2007 को स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्ट हुए। कंपनी राजस्थान में कई तेल ब्लॉकों का विकास कर रही है। अभी वह प्रति दिन 1.25 लाख बैरल तेल निकालती है। लेकिन उसकी क्षमता 2.40 लाख बैरल प्रतिदिन की है।
केयर्न इंडिया के पास भारत में तेल व गैस के 11 ब्लॉक और श्रीलंका में एक ब्लॉक है। बाडमेर इलाके के तेल कुओं में वह 70 फीसदी हिस्सेदारी रखती है, जबकि बाकी 30 फीसदी हिस्सा सरकारी कंपनी ओएनजीसी का है। देश के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित कैम्बे बेसिन में उसकी हिस्सेदारी 40 फीसदी और पूर्वी तट पर स्थित राव्वा ब्लॉक में 22.5 फीसदी हिस्सेदारी है।
गौरतलब है कि नई एक्सप्लोरेशन लाइसेंसिंग नीति के तहत खनन ब्लॉक हासिल करनेवाली कंपनी के लिए कानूनन यह जरूरी है कि वह अपनी शेयरधारिता में किसी भी बदलाव से पहले सरकार को सूचित करे। शुक्रवार को केयर्न इंडिया के सीईओ राहुल धीर के पेट्रोलियम सचिव से दिल्ली में जाकर मिलने को इस बात का पक्का संकेत माना जा रहा है कि कंपनी अपनी इक्विटी हिस्सेदारी किसी और को बेच रही है। और, अब तक की बातचीत से यह भी साफ हो चुका है कि यह खरीदार कबाड़ी से खरबपति बने अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह ही है।