किसी शेयर की बुक वैल्यू 320 रुपए हो और उसका शेयर इसके लगभग आधे भाव पर ट्रेड हो रहा तो आप क्या करेंगे? ऊपर से शेयर दस से नीचे के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा तो हर कोई कहेगा – लूट लो, यह शेयर तो साल भर में दोगुना हो ही सकता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या बुक वैल्यू का ज्यादा होना ही निवेश का पर्याप्त मानदंड है? क्या कम पी/ई का मतलब उस शेयर में बढ़ने की भरपूर संभावना होता है? इसका जवाब है – शायद नहीं। कम से कम हमारा अपना अनुभव तो यही कहता है।
हमने साढ़े तीन महीने पहले 8 नवंबर 2011 को मैथान एलॉयज के बारे में लिखा था तो यही सोचकर कि इसमें निवेशकों की पूंजी निरंतर बढ़ती रहेगी। तब उसका शेयर 144 रुपए पर था और मात्र 3.17 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। वह शेयर अब घटकर 111 रुपए पर आ चुका है और 2.61 के पी/ई पर ट्रेड हो रही है, जबकि उसकी बुक वैल्यू ही 128.19 रुपए है। यकीनन कोई भी इस स्तर पर मैथान एलॉयज से निकलने की सलाह नहीं देगा। लेकिन सवाल तो उठता ही है कि इतनी खुली सूचनाओं के बावजूद निवेशक ऐसे शेयरों को पूछते क्यों नहीं और पूछते भी हैं तो ऐसे शेयर बढ़ते क्यों नहीं?
इसी तरह का एक और स्टॉक है वीबीसी फेरो एलॉयज। 1967 में बनी आंध्र प्रदेश की इस कंपनी का शुरुआती नाम विज़ाग बोटलिंग कंपनी था। वो नाम के अनुरूप लोहे की मिश्र धातुएं या फेरो एलॉय बनाती है। उसका मुख्य उत्पाद फेरो सिलिकॉन है जिसका इस्तेमाल कास्ट आइरन और स्टील उत्पादन में होता है। वह अपने उत्पादों का निर्यात इटली, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों और कोरिया तक को करती है। उसे सरकार से एक्सपोर्ट हाउस का दर्जा मिला हुआ है।
कंपनी ने कल ही, 20 फरवरी को दिसंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए हैं। इस दौरान उसकी बिक्री साल भर पहले की तुलना में 21.77 रुपए घटकर 22.57 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 52.91 फीसदी घटकर 1.05 करोड़ रुपए पर आ गया है। बीते पूरे वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 112.44 करोड़ रुपए की बिक्री पर 11.32 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अब तक जून के अलावा बाकी दो तिमाहियों में उसकी बिक्री व शुद्ध लाभ में कमी आई है। इसके बावजूद दिसंबर तक के बारह महीनों में उसका ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 24.05 रुपए है।
कंपनी का दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर शुक्रवार 17 फरवरी को बीएसई (कोड – 513005) में 166.10 रुपए पर बंद हुआ है। यह केवल बीएसई में लिस्टेड है। पिछले एक हफ्ते में ही यह 180 रुपए से करीब 8 फीसदी गिरा है। शेयर मात्र 6.9 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है और उसकी बुक वैल्यू बाजार भाव से लगभग दोगुनी 318.98 रुपए है। जानकार कहते हैं कि इसमें निवेश कर देना चाहिए और यह आपके धन को साल भर में दोगुना कर सकता है। लेकिन मुझे लगता है कि यह एक सब्जबाग है जो कंपनी के नतीजों की घोषणा से पहले पेश किया गया था ताकि पुराने छंटे हुए निवेशक इससे बाहर निकल सकें। पी/ई की बात करें तो इंडियन मेटल्स एंड फेरो एलॉयज इससे कम 6.12 और सैंडुर मैंगनीज 5.54 के अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
वीबीसी फेरो एलॉयज का शेयर अभी और नीचे गिरेगा। पिछले 52 हफ्तों में भले ही यह 303 रुपए तक ऊपर गया हो। लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह नीचे में 117.25 तक जा चुका है। हां, यह शेयर फिलहाल गिरकर अगर 140 रुपए तक आ जाए तो इसमें निवेश किया जा सकता है। असल में कंपनी ने प्राकृतिक गैस पर आधारित 445 मेगावॉट बिजली बना रही कंपनी कोणासीमा गैस पावर में निवेश कर रखा है जिसके 13.43 करोड़ शेयर उसके पास है। ये शेयर उसे 10 रुपए के भाव पर मिले हैं, जबकि वह इनका प्राइवेट प्लेसमेंट 65-70 रुपए पर करने की सोच रही है।
कोणासीमा गैस पावर रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन से गैस लेती है। वह अगले चरण में अपनी क्षमता 820 मेगावॉट बढ़ाने जा रही है। इसके वित्त पोषण के लिए वह धन जुटाने की फिराक में है। उसका आईपीओ साल-डेढ़ साल में आ सकता है। इससे हो सकता है कि महज 73 करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण वाली इस स्मॉल कैप कंपनी का मूल्य 750 करोड़ रुपए के आसपास पहुंच जाए। इस आधार पर आप चाहें तो वीबीसी फेरो एलॉयज में निवेश कर सकते हैं। लेकिन मैं तो फिलहाल इससे दूर रहना ही पसंद करंगा।