देश में बीज के उत्पादन और विकास के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों के लिए बने नियमों में ढील देने के सरकारी फैसले पर विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम तभी फायदेमंद होगा जब सरकार किसानों व पर्यावरण के लिहाज से अनुकूल शोध को बढ़ावा देती रहे। कुछ विशेषज्ञों ने तो इससे बीज बाजार और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया है और कहा है कि हमें इसको लेकर सावधान हो जाना चाहिए।
उल्लेखनीय कि सरकार ने देश में अच्छे गुण वाले बीज और पौध के विकास को बढ़ावा देने के नाम पर इस क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को और उदार बनाने की घोषणा की है। नए नियम के तहत अब विदेशी कंपनियों पर अभी तक लागू बीज व रोपण सामग्री का विकास और उत्पादन ‘नियंत्रित दशाओं’ में करने की शर्त हटा ली गई है। इससे बीज के विकास में लगी विदेशी इकाइयां भारत में कहीं भी बीज, कंद और रोपण के लिए पौधों का व्यावसायिक उत्पादन कर सकेंगी।
इस मसले पर प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का कहना है कि कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से तब तक नुकसान नहीं होगा जब तक सरकार सरकार शोध को लेकर अपनी प्रतिबद्धता कम नहीं करती। विदेशी कंपनियों को इस क्षेत्र में अपनी शत-प्रतिशत मालिकाने वाली कंपनी चलाने की छूट पहले भी थी, लेकिन वे बीज के विकास का कार्य केवल नियंत्रित दशाओं अर्थात प्रयोगशालाओं या ग्रीनहाउसों में ही कर सकती थीं।
स्वामीनाथन ने कहा, ‘‘निजी क्षेत्र की कंपनियां केवल हाइब्रिड बीज का उत्पादन करेंगी जिसे किसानों को हर साल खरीदना होगा। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि अनुसंधान छोटे किसानों, महिलाओं और पर्यावरण के लिहाज से अनुकूल हों।’’ (प्रेट्र)