भारतीय बाजार ने दिखा दिया है कि यहां एक तरफ बहुत-सी कंपनियां मुश्किल में हैं और अपना धंधा बेचने को तैयार हैं, वहीं दूसरी तरफ बहुत-सी कंपनियां इस कदर संभावनाओं से भरी हैं कि उन्हें खरीदनेवालों की लाइन लगी है। ऑफिस स्टेशनरी बनानेवाली कैमलिन अपनी 50.3 फीसदी इक्विटी जापानी कंपनी कोकुयो को 365 करोड़ रुपए में बेचने में कामयाब हो गई। इससे पहले कनोरिया केमिकल्स अपना एक डिवीजन आदित्य बिड़ला समूह को बेच चुकी है।
अब सबेरो ऑर्गेनिक्स में पूरी कंपनी ही कोरोमंडल इंटरनेशनल को 160 रुपए प्रति शेयर के जबरदस्त मूल्य पर बेची जा रही है, जबकि बाजार को अपेक्षा 100 रुपए प्रति शेयर की थी। कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू मात्र 35 रुपए है। इसके शेयर का मूल्य तीन साल पहले, जब मैं इसके प्रबंधन से मिला था, तब 17 रुपए हुआ करता था। उस वक्त इसमें निवेश करनेवालों को तीन साल में 8 गुना रिटर्न मिल चुका है। नोट करने की बात है कि फंडामेंटल मजबूती के आधार पर अर्थकाम ने इसे 22 मार्च 2011 को खरीदने की सिफारिश की थी। तब इसका शेयर 37.40 रुपए पर था। आज यह 97.90 रुपए के नए शिखर पर है। करीब दो महीने में 162 फीसदी का रिटर्न!!! यह है वैल्यू इनवेस्टिंग का फायदा। यह साबित करता है कि हवा-हवाई टिप्स के बजाय मूलभूत मजबूती अपना रंग जरूर दिखाती है।
खैर, हमने अभी जिन कंपनियों के खरीदे-बेचे जाने की बात की, वे सभी रसायन उद्योग में जुड़ी हैं। इनमें इतनी हलचल की सीधी-सी वजह यह है कि इस समय रसायनों के दाम में उबाल आया हुआ है। इस क्षेत्र में अभी और भी सौदेबाजी हो सकती हैं। डाईअमीन्स, विष्णु केमिकल्स व कैम्फर, सभी में हिस्सेदारी बेचने की चर्चा चल रही है। इन कंपनियों में कुछ न कुछ बड़ा घटने वाला है। इसलिए इनके शेयरों को अभी बेचना ठीक नहीं होगा। बड़ी घटना होने तक इन्हें होल्ड रखें और तब आपको ये स्टॉक बड़ा रिटर्न देकर जाएंगे।
अभी हफ्ते भर पहले ही किसी एफआईआई ब्रोकिंग हाउस ने डीएलएफ को डाउनग्रेड किया था। तब इसका शेयर 210 रुपए पर था। लेकिन डाउनग्रेड के बाद तो लगता है जैसे वह तलहटी पकड़ने के बाद उठने लगा है। आज यह 3.27 फीसदी बढ़कर 238.55 रुपए पर बंद हुआ है। यूनिटेक का प्रवर्तक जेल में है और स्टॉक का भाव 20 फीसदी बढ़ चुका है। एचसीसी में लवासा का मामला अदालत में विचाराधीन है। फिर भी शेयर में सुधार जारी है। इंडिया बुल्स रियल एस्टेट को कुछ मजबूत हाथ बटोरना शुरू कर चुके हैं। आज यह 2.31 फीसदी बढ़ा है।
ऑरबिट कॉरपोरेशन 41 रुपए पर बॉटम बना चुका है। आज 4.21 फीसदी की बढ़त लेकर 45.75 रुपए पर पहुंच गया। इसे ऑपरेटरों के लिए चलाना अब काफी आसान हो गया है क्योंकि यह अब डेरिवेटिव या फ्यूचर्स एं ऑप्शंस श्रेणी से बाहर निकल गया है। यह सब दिखाता है कि रीयल्टी क्षेत्र के लिए जितना बुरा होना था, हो चुका है। मुझे लगता है कि मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की इजाजत मिलने से पहले इस सेक्टर में कुछ समझदारी भरी खरीद होगी क्योंकि बड़े रिटेल ब्रांडों की एंट्री के बाद व्यावसायिक प्रॉपटी की मांग कई गुना बढ़ जाएगी।
एक बात और नोट कर लीजिए कि तेजी का अगला दौर गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) में आने जा रहा है। मुझे किसी ने बताया कि इंडिया इनफोलाइन (आईआईएफएल) बिकने की गुंजाइश तलाश रही है। कइयों से उसकी बातचीत चल रही है। पहले इस सिलसिले में बेयरिंग का नाम उछाला गया था। इसके बाद पिरामल का नाम आया और अब चर्चा है कि सीएलएसए से वार्ता चल रही है। सारा कुछ इस तरफ इशारा कर रहा है कि रिटेल ब्रोकिंग बिजनेस को अब जमीन मिल रही है और अगले कुछ महीनों में तेजी का नया दौर आने को है। अगर यह डील होती है तो इसका मूल्याकंन बाजार के लिए बेंचमार्क बन सकता है।
बैंकिंग लाइसेंस की मंजूरी पर सरकार का सकारात्मक रुख एनबीएफसी कंपनियों के लिए भारी मांग पैदा कर रहा है। इनके नखरे और मूल्य आसमान पर जा पहुंचे हैं। करोड़ों से नीचे कोई बात ही नहीं हो रही। इसलिए मेरा कहना है कि जिनके पास भी बैंकिंग लाइसेंस वाली एनबीएफसी कंपनियों के शेयर हैं, वे इन्हें अगले दो सालों तक होल्ड रखें। उन्हें शानदार भाव मिलेगा।
बाजार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कुछ कार्टेल उसे मुठ्ठी में किए हुए हैं। ये चाहे मंदड़ियों के कार्टेल हों या तेजड़ियों के। वे जैसे चाहें, उस तरीके से बाजार को नचा सकते हैं। पिछले सेटलमेंट में बाजार में हर तरफ यही हल्ला था कि निफ्टी 5000 का स्तर तोड़कर नीचे चला जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाजार ओवरसोल्ड बना रहा। फिर जैसी उम्मीद थी, बाजार 5330 के बाद यू-टर्न ले चुका है। आज 1.59 फीसदी बढ़कर 5560.15 पर बंद हुआ है। ऊपर में 5571.60 तक चला गया था। सेंसेक्स आज 1.49 फीसदी बढ़त लेकर 18,503.28 पर बंद हुआ है। हम मानते हैं कि बाजार जल्दी ही 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को पार कर जाएगा और तब किसी जंगली सांड़ की तरह इसे रोक पाना मुश्किल हो जाएगा।
बुद्धिमान व्यक्ति फटाफट सही उत्तर देने के बजाय सही प्रश्न उछालने में यकीन रखता है क्योंकि सही प्रश्म आपको अपने-आप सही उत्तर तक पहुंचा देते हैं।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का फीस-वाला कॉलम है, जिसे हम यहां मुफ्त में पेश कर रहे हैं)