मंदड़िये सारी सोने की मुर्गियों को मारने पर उतारू हैं। यह अलग बात है कि इधर बाजार कुछ समय से उनका साथ नहीं दे रहा। फिर वे इस कदर अड़ियल टट्टू हो गए हैं कि अपने शॉर्ट सौदों को बाजार के 5200 या यहां तक कि 4800 तक चले जाने तक काटने को तैयार नहीं हैं। और, मैं खुश हूं कि तेजड़ियों की मनचाही मुराद पूरी हो रही है।
इस बीच खबर आ गई है कि जापान की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी निप्पन लाइफ इंश्योरेंस अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने जा रही है। रिलायंस लाइफ अभी तक रिलायंस कैपिटल का हिस्सा है। हालांकि इसका आईपीओ लाने की तैयारी काफी समय से चल रही है। निप्पन लाइफ 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 6000 करोड़ येन (72 करोड़ डॉलर) देने को तैयार है। हालांकि रिलायंस कैपिटल ने फिलहाल ऐसी किसी भी करार या बातचीत से इनकार किया है।
जापानी कपनी की यह पहल और कुछ नहीं, बस इसी हकीकत को बयां करती है कि बहुत सारी भारतीय कंपनियां अपने अंतर्निहित मूल्य से काफी नीचे चल रही हैं और उनमें हिस्सेदारी खरीदने का ये शानदार मौका है। यह खरीद चाहे सीधे की जाए या शेयर बाजार के जरिए। एक बार जब बाजार 6000 के ऊपर चला गया तो इस तरह के मौके फिर हाथ नहीं आ सकते।
खैर, तेजड़ियों के खेमे से मुझे खबर मिली है कि नीचे दिए जा रहे दस स्टॉक्स उनकी पकड़ में हैं। ये सभी स्टॉक्स अच्छी मूल्यवान खरीद का मौका दे रहे हैं और अगले दो महीनों में 20 से 25 फीसदी बढ़ सकते हैं। ये स्टॉक्स हैं: नैवेली लिग्नाइट, जीई शिपिंग, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, बैक ऑफ बड़ौदा, डीएलएफ, आईबी रीयल्टी, वोल्टास, अडानी पावर, लैंको इंफा और ओएनजीसी।
आप इनमें से किसी को भी चुन सकते हैं और चाहें तो उनमें लांग हो सकते हैं यानी दाम बढ़ने की उम्मीद में खरीद सकते हैं। लेकिन अपने स्तर पर पूरी जांच-परख के बाद इन दस स्टॉक्स में से किसी को हाथ लगाइएगा। यह सुनीसुनाई बात है और आ जानते ही है कि सुनी-सुनाई बातों में जोखिम काफी ज्यादा होता है। हालांकि शॉर्ट करना चाहें तो पूरी दुनिया आपके लिए खुली है। आप अपने पर्स के नोट देखकर कभी भी वहां दांव लगा सकते हैं। शॉर्ट सौदे करना तो अब स्क्रीन पर गेम खेलने जैसा आसान हो गया है। इसलिए इसमें उतरने के लिए आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह की भी दरकार नहीं है।
रिलायंस कैपिटल की पूरी कहानी को सामने लाने का श्रेय हमारी टीम को जाता है। नियमन संबंधी मसलों के कारण भारतीय बाजारों में खंडन के बावजूद जापनी कंपनी तक पहुंचने की हमारी कोशिशों ने वैसा ही रंग दिखाया जैसा कि हीरो होंडा के मामले में हुआ था। अपनी खबरों के आधार पर हम अपने स्रोतों व माध्यमों के जरिए एफआईआई ग्राहकों को सलाह देते हैं। कभी-कभी भारत में नियमन संबंधी मसलों के चलते खबर देर से आती है क्योंकि कंपनी सार्वजनिक तौर पर कुछ भी पुष्ट नहीं कर सकती। इसलिए हमारी आलोचना भी होती रही है। वैसे, हर कामयाब आदमी के जीवन में आलोचक तो रहते ही हैं।
आलोचक एक ऐसा शख्स है जो रास्ता तो जानता है, लेकिन खुद कार नहीं चला सकता।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)