सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा सरकार को आदेश दिया है कि वह ब्रिटेन स्थित वेदांता समूह द्वारा पुरी में अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए 6000 हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण मामले में यथास्थिति बरकरार रखे। शुक्रवार को इस मामले में विभिन्न पक्षों की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश डी के जैन और न्यायाधीश एच एल दत्तु की पीठ ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया।
इससे पहले, शीर्ष अदालत की दो अलग-अलग पीठ ने विभिन्न पक्षों की याचिकाओं की सुनवाई करने से मना करते हुए कहा था कि कोई न कोई न्यायाधीश अतीत में इस मामले से जुड़ा रहा है। राज्य सरकार और अनिल अग्रवाल फाउंडेशन ने उड़ीसा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने वेदांता विश्वविद्यालय के लिए जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को 17 कारणों का हवाला देते हुए अवैध करार दिया था। उसने वेदांता समूह को संबंधित मालिकों को जमीन लौटाने का भी निर्देश दिया था।
परियोजना का विरोध कर रहे करीब एक दर्जन से अधिक याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से मामले में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि राज्य सरकार ने ऐसे समूह द्वारा विश्व स्तर का विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए जमीन का अधिग्रहण शुरू किया है जिसके पास प्राथमिक स्कूल स्थापित करने का भी अनुभव नहीं है। उन्होंने यह भी दलील दी कि मामले में जमीन अधिग्रहण कंपनी नियम, 1963 का समुचित तरीके से पालन नहीं किया गया।