न तो दुनिया और न ही शेयर बाज़ार हमारी सदिच्छा से चलता है। लेकिन हम अपनी इच्छाएं थोपने से बाज नहीं आते। सोच लिया कि फलानां शेयर बढेगा तो दूसरों से इसकी पुष्टि चाहते हैं। वही टेक्निकल इंडीकेटर पकड़ते हैं जो हमारी धारणा को सही ठहराते हों। कोई इंडीकेटर उल्टा संकेत देता है तो हम उसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं। ध्यान दें, भाव इंडीकेटर के पीछे नहीं, इंडीकेटर भाव के पीछे चलते हैं। अब वार मंगलवार का…औरऔर भी

अल्गोरिदम ट्रेडिंग या हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग का नाम आपने सुना ही होगा। जानते भी होंगे कि इसमें ट्रेडिंग का सारा काम कंप्यूटर सॉफ्टवेयर करते हैं। करोड़ों का दांव खेलनेवाली संस्थाएं इस तरह की ट्रेडिंग का सहारा लेती है। हमें पांच-दस फीसदी की कमाई चाहिए होती है, जबकि अल्गो ट्रेडिंग में पांच-दस पैसे का लाभ एक-एक दिन में लाखों की कमाई करा देता है। सवाल उठता है कि क्या इस हाई फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग का मुकाबला हम जैसे आमऔरऔर भी