वही सॉफ्टवेयर, टेक्निकल एनालिसिस के वही इंडीकेटर, वही मुठ्ठी भर शेयर। फिर भी शेयर बाज़ार के 95% ट्रेडर घाटा खाते हैं। क्यों? आखिर, कामयाब ट्रेडर के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ क्या है? तेज दिमाग! उच्च शिक्षा!! सच यह है कि हाईस्कूल तक पढ़े लोग भी ट्रेडिंग से लाखों कमाते हैं। सफलता के लिए सबसे अहम तत्व है दृढ़ अनुशासन। सफल ट्रेडर अपने हर सौदे का रिकॉर्ड रखता है और बराबर उससे सीखता है। अब आज का सौदा…औरऔर भी

इनफोसिस का अचानक एक दिन में 10.92% उछल जाना। निफ्टी का फिर से 6000 के ऊपर चले जाना। क्या यह तेज़ी का नया आगाज़ तो नहीं? असल में हर तेज़ी और मंदी के बाज़ार के पीछे मूलभूत या फंडामेंटल कारक होते हैं। अभी के दो मूलभूत कारक हैं अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व के चेयरमैन बेन बरनान्के की तरफ से बांड खरीद पर लटकी तलवार हटा लेने का बयान और इनफोसिस के उम्मीद से बेहतर नतीजे। लेकिनऔरऔर भी

गलतियां मंजे हुए ट्रेडर भी करते हैं। इसके बावजूद मुनाफा कमाते हैं क्योंकि वे अपने घाटे की सीमा या स्टॉप-लॉस बांध कर चलते हैं। स्टॉप-लॉस के दो आधार हैं, धन गंवाने की आपकी क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस। सबसे पहले यह देखें कि किसी सौदे में आप कितना गंवा सकते हैं। सौदे को लेकर आश्वस्त नहीं हैं तो न्यूनतम रिस्क लें। फिर टेक्निकल एनालिसिस से निकलने का सटीक भाव तय कर लें। अब करते हैं रुख बाज़ार का…औरऔर भी

पहले तय करें कि निकलना कहां है, फिर बाज़ार को देखें। जैसे ही निकलने का सबसे अच्छा भाव मिले, फौरन पोजिशन काट दें। यह है शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते वक्त प्रोफेशनल ट्रेडरों की आम रणनीति। यह कठिन-कठोर अनुभव और लौह अनुशासन की सीख है। वहीं नए ट्रेडर बाज़ार को वैसे देखते हैं जैसे कोई चूहा सामने आए सांप को देखता है। उसके हाथ-पैर फूल जाते हैं और वो सांप का निवाला बन जाता है। अब आगे…औरऔर भी

शेयर बाज़ार ही नहीं, किसी भी बाज़ार में भाव तभी बदलते हैं जब डिमांड और सप्लाई का संतुलन टूटता है। इस तरह बनते असंतुलन को प्रोफेशनल ट्रेडर पहले ही भांप लेते हैं। वे चार्ट पर देख लेते हैं कि कहां एफआईआई, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड और बैंक जैसे बड़े संस्थागत निवेशक खरीद-बेच रहे हैं। प्रोफेशनल ट्रेडर यह भी जानते हैं कि सामने भावनाओं व अहंकार में डूबा एक शेखचिल्ली ट्रेडर बैठा है। हमें प्रोफेशनल ट्रेडर बनना है…औरऔर भी

रुपया डॉलर के मुकाबले इस साल 9.27% गिर चुका है। सोमवार को 61.21 की ऐतिहासिक तलहटी छूने के बाद 60.62 पर बंद हुआ। हर तरफ हाहाकार है कि रसातल में जाता रुपया अब संभाला नहीं जा सकता और वो अपने साथ अर्थव्यवस्था और शेयर बाज़ार को भी डुबा देगा। पर सच यह है कि उसकी कमज़ोरी ही एक दिन मजबूती का सबब बनेगी। आयात घटेंगे, निर्यात बढ़ेंगे, रुपया सबल होगा। इस चक्र को समझते, बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

मैं गलत कैसे हो सकता हूं? एक-न-एक दिन साबित हो जाएगा कि मैंने जो फैसला लिया, वो कितना सही था। कुछ ऐसा ही सोचकर हम पुराने फैसलों से चिपके रहते हैं और अपने सही होने का इंतज़ार करते हैं। वक्त सरकता जाता है, पर हमें सही साबित करने का वक्त कभी नहीं आता। जीवन में यह सोच भले चल जाए, लेकिन शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से चिपक जाए तो बरबाद कर डालती है। अब आज का अध्याय…औरऔर भी

शेयर बाज़ार 99% मौकों पर 99% लोगों को चरका पढ़ाता है। इसलिए बाकी 1% लोगों में शामिल होना और 1% सीमित मौकों को पकड़ना बेहद कठिन है। जीवन में आशावाद आगे बढ़ने का संबल बनता है, वहीं शेयर बाज़ार में निराशावाद कामयाबी की बुनियाद बनता है। हर सौदे के पहले सोचना चाहिए कि इसमें कितना घाटा संभव है, जबकि हम यही सोचते हैं कि इससे कितना फायदा कमा सकते हैं। अब करें सोच को पलटने का अभ्यास…औरऔर भी

नोट छापना आसान है, कमाना नहीं। वरना हर कोई शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से जमकर कमा रहा होता। आम सोचवालों के लिए ट्रेडिंग से कमाई शेर के जबड़े से शिकार निकालने जैसा काम है। सामने बैठे हैं उस्तादों के उस्ताद, जो भीड़ की हर मानसिकता का इस्तेमाल बखूबी करते हैं। अक्सर कम सतर्क लोगों को छकाने के लिए झांसा/ट्रैप बिछाते हैं जो दिखता है शानदार मौका, लेकिन फंसाते ही निगल जाता है। अभी क्या है इनका ट्रैप…औरऔर भी

ट्रेड में घुसते ही स्टॉप-लॉस लगाना जरूरी है। शेयर अनुमानित दिशा में उठने लगे तो स्टॉप-लॉस को उठाते जाएं। अगर शॉर्ट-सेल किया है और शेयर लक्ष्य की दिशा में गिरने लगे तो स्टॉप-लॉस को नीचे ला सकते हैं, लेकिन कभी भी ऊपर न करें। इसी तरह लांग सौदों में स्टॉप-लॉस को उठा तो सकते हैं, लेकिन कभी भी नीचे न लाएं। सौदे को और मोहलत देने की सोच सिर्फ-और-सिर्फ हराती है। अब रुख आज के बाज़ार का…औरऔर भी