अगर आप ट्रेडिंग में एकदम नए हैं तो बेहतर यही होगा कि आप सुबह बाज़ार खुलने पर उससे दूर रहें। जब तक आप औरों के ऊपर हावी न हो सकें, तब तक अपने धन को जोखिम में डालने का क्या फायदा? लेकिन अगर आपने उस्तादों की नज़र हासिल कर ली है तो सुबह-सुबह सौदे पकड़ना बेहद लाभकारी है क्योंकि उस वक्त अनजान-अनाड़ी मछलियां ही तैरने आती हैं जिनका शिकार आसान है। अब टटोलते हैं बाज़ार की नब्ज़…औरऔर भी

माना और कहा जाता है कि भाव हमेशा सही होते हैं और वे बाज़ार में खरीदनेवालों और बेचनेवालों के बीच बनी अंतिम सहमति को दर्शाते हैं। लेकिन अगर ऐसा ही होता तो शेयर बाज़ार में वोल्यूम/कारोबार तो शून्य हो जाना चाहिए क्योंकि जब सहमति बन ही चुकी है तो उसे तोड़ेगा कौन? इसलिए भाव को भगवान मान भी लें तो वह हर पल, हर दिन बदलता रहता है और उसे बदलता है इंसान। अब रुख बाज़ार का…औरऔर भी

मूल्यहीनता के इस दौर में छिपा मूल्य खोजकर निकालते हैं। हम अवरुद्ध प्रवाह को खोलते हैं। अर्थव्यवस्था की धमनियों में धन का संचार करते हैं हम। हम भजन नहीं गाते कि जाहे विधि राखे राम, वाहे विधि रहिए और न बौद्धिक लफ्फाज़ी करते हैं। जो पल गुजर गया, उस पर नज़र रखकर हम हर आनेवाले पल की लगाम कसते हैं। समय पर सवार हैं क्योंकि हम ट्रेडर हैं। उतरते हैं शेयर बाज़ार के ऐसे ही संसार में…औरऔर भी

हम मानते हैं कि जितना रिस्क, उतना रिवॉर्ड। ज्यादा रिस्क, ज्यादा फायदा। दिक्कत यह है कि फायदे की सोच में मगन होकर हम भूल जाते हैं कि ज्यादा रिस्क में पूंजी डूबने का खतरा भी ज्यादा होता है। वहीं ट्रेडिंग में भयंकर रिस्क की बात कही जाती है। लेकिन प्रोफेशनल ट्रेडर की खूबी होती है कि वो वही सौदे करता है जिसमें न्यूनतम रिस्क में अधिकतम फायदे की प्रायिकता सबसे ज्यादा होती है। अब शुक्र की ट्रेडिंग…औरऔर भी

जीवन के तमाम क्षेत्रों की तरह शेयर-ट्रेडिंग में भी कुछ नीति-वाक्य चलते हैं। कहते हैं कि इंट्रा-डे ट्रेडर को अगर दिन में लगातार तीन बार घाटा हो तो उस दिन उसे ट्रेडिंग रोक देनी चाहिए। स्विंग ट्रेडर का दांव अगर लगातार तीन दिन उल्टा पड़ जाए तो उसे दो दिन ऑफ ले लेना चाहिए। लेकिन दांव सही पड़ते-पड़ते ट्रेडिंग पूंजी दोगुनी हो जाए तो तीन दिन छुट्टी मनानी चाहिए। अनुशासन के साथ अब बढ़ें बाज़ार की ओर…औरऔर भी

बिजनेस चैनलों का अपना बिजनेस मॉडल है। ज्ञान देते एनालिस्टों के खाने कमाने का अपना मॉडल है। आर्थिक अखबारों का अलग बिजनेस मॉडल है। हम जित्ता इन्हें देखते या पढ़ते हैं, इनका धंधा उत्ता चमकता है। मुनाफा ही उनका ध्येय है, खबर उनका धंधा है। हमारा भला उनके लिए रत्ती भर मायने नहीं रखता। ट्रेडिंग भी एक धंधा है तो किसी गैर को नहीं, हमें ही इसका बिजनेस मॉडल बनाना होगा। अब देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी

ट्रेडिंग आसान है। ब्रोकर के पास डीमैट एकाउंट खुलवाया और शुरू हो गए। पर सफल ट्रेडर बनना बेहद मुश्किल है। मुश्किल इसलिए नहीं कि यह कोई रॉकेट साइंस है, बल्कि इसलिए कि आपको सामनेवाले शख्स को हराना है। बड़ी पूंजी के साथ प्रोफेशनल्स बैठे हैं सामने। कोई शेखचिल्ली उनसे कभी नहीं जीत सकता। उन्हें हराने के लिए उनके जैसा ही दक्ष बनना पड़ता है, अध्ययन और कठोर अभ्यास करना पड़ता है। इसी कड़ी में बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

इस हफ्ते एक के बाद एक तीन अहम खबरें आने वाली हैं। आज सरकार अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक से जुड़ी मुद्रास्फीति का आंकड़ा जारी करेगी। बुधवार को अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व की समिति बांड खरीद पर कुछ बोलेगी। फिर शुक्रवार को रिजर्व बैंक के नए गवर्नर रघुराम राजन बीच तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेंगे। इस तरह इस हफ्ते 16, 18 और 20 सितंबर के दिन काफी अहम हैं। अब आगाज़ इस हफ्ते का…औरऔर भी

मित्रों! मेरा मकसद न तो आपको टिप्स देना है और न ही आपसे कमाई करना। मेरा पहला मकसद है उन सूचनाओं की खाईं को भरना जो अंग्रेज़ी जाननेवालों को आसानी से मिल जाती हैं, जबकि हिंदी जगत अंधेरे में टटोलता रहता है। यही हाल मराठी और अन्य भारतीय भाषाएं बोलने वालों का है। दूसरा मकसद है अंग्रेज़ी जाननवाले भी जिन जटिलताओं से घबराते हैं, उन्हें सुलझा देना। अब ट्रेडिंग की ऐसी ही कुछ उलझनों को सुलझाने केऔरऔर भी

आज दो अच्छी खबरें हैं जो कल बाज़ार बंद होने के बाद सामने आईं। एक तो यह कि लगातार दो महीने तक सिकुड़ने के बाद देश का औद्योगिक उत्पादन जुलाई महीने में 2.6% बढ़ा है। दूसरी खबर यह कि अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर घटकर 9.52% पर आ गई है, जबकि जुलाई में यह 9.64% थी। चलिए, देखते हैं कि आज शेयर बाज़ार पर इन खबरों का क्या असर होता है…औरऔर भी