धन का पूरा तंत्र है। कम से कम आज की ग्लोबल दुनिया में शेयर बाज़ार को मुद्रा से स्वतंत्र मानना घातक होगा। लेकिन दोनों में सीधा रिश्ता भी नहीं कि डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत तो शेयर बाज़ार बढ़ेगा, नहीं तो घटेगा। कल रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार तीसरे दिन कमज़ोर हुआ, जबकि शेयर बाज़ार तीन हफ्ते में सबसे ज्यादा बढ़ गया। तेल आयातकों की डॉलर मांग बढ़ी तो गिरा रुपया। देखते हैं कहां लगी सबकी नज़र…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में निवेश नहीं, लेकिन ट्रेडिंग ज़ीरो-सम गेम है। ठीक जब एक बढ़ने की उम्मीद में खरीदता है तो दूसरा गिरने के डर से बेचता है। तभी सौदा संपन्न होता है। एक सही होगा तो दूसरा शर्तिया गलत। बस हमें ध्यान रखना चाहिए कि सामनेवाला प्रोफेशनल ट्रेडर न हो। वरना, हमारा हारना तय है क्योंकि वो सबल है। इसलिए या तो प्रोफेशनल ट्रेडर के साथ चलें या उससे बचकर। अब हलचल भरे हफ्ते का पहला दिन…औरऔर भी

एक लाख रुपए पर हर दिन कोई तीन प्रतिशत भी कमाए तो महीने के बीस कारोबारी सत्रो में 60,000 रुपए कमा सकता है। बड़ी आसान दिखती है शेयर बाज़ार से यह कमाई क्योंकि रोज़ बीसियों शेयर तीन प्रतिशत से ज्यादा उठते-गिरते हैं। बढ़नेवाले को खरीदकर कमाओ, गिरनेवाले को शॉर्ट करके। मौजा ही मौजा! लेकिन यह सीन तब का है, जब वो घट चुका है। मान लीजिए जो सोचा, उसका उलटा हो गया तो! अब अभ्यास शुक्र का…औरऔर भी

हर दिन एनएसई में 1500 से ज्यादा कंपनियों के शेयर ट्रेड होते हैं। इनमें से हर किसी को ट्रैक या ट्रेड करना किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए हर ट्रेडर को अपने हिसाब से कंपनियां छांट लेनी चाहिए। यह काम उसे खुद अपने स्वभाव और पसंद-नापसंद के हिसाब से करना होगा। जैसे, कुछ धांधलियों के चलते मुझे जिंदल व आदित्य बिड़ला समूह की कंपनियां नहीं सुहाती तो मैं उन्हें अमूमन नहीं देखता। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

प्रवर्तकों से मिलकर खेल करनेवाले इनसाइडर ट्रेडरों को छोड़ दें तो शेयर बाज़ार में रिटेल और प्रोफेशनल, दो ही तरह के ट्रेडर आपस में भिड़ते हैं। प्रोफेशनल ट्रेडर ज्यादा समय व संसाधन लगाता है तो उसकी स्थिति बेहतर होती है। लेकिन वो छोटे सौदों को हाथ नहीं लगा सकता। रिटेल ट्रेडर ऐसे कई मसलों में उस पर भारी पड़ता है। रिटेल ट्रेडरों को इन खासियतों को समझकर अपनी ट्रेडिंग रणनीति बनानी चाहिए। अब देखें बुधवार की धार…औरऔर भी

उन्नत बाज़ार में एक-एक हरकत को पकड़ने की व्यवस्था होती है। जो अनजान हैं, वे हवा में तीर चलाते हैं। जो जानते हैं, वे पक्की गणना के आधार पर फैसला करते हैं। जैसे, अपने यहां एक सूचकांक हैं इंडिया वीआईएक्स। यह निफ्टी के आउट ऑफ द मनी (ओटीएम) ऑप्शन के भाव पर आधारित होता है। इसे डर का सूचकांक माना जाता है। यह हमेशा निफ्टी से उल्टी दिशा में चलता है। अब पकड़ते हैं मंगलवार की दिशा…औरऔर भी

अगर आपको कमोडिटी, फॉरेक्स या शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाई करनी है तो इसकी पूर्वशर्त है कि आपको चार्ट पर भावों की भाषा पढ़नी आनी चाहिए। इसके बावजूद हम अक्सर चार्ट पर वही देखते हैं जो सोचते हैं। इस आत्मग्रस्तता को भी तोड़ना पड़ता है। फिर भी आपने जो आकलन किया था, वैसा नहीं हुआ तो सिर धुनने की बात नहीं क्योंकि ऐसा सबसे साथ होता है। यह अनिश्चितता का खेल है। अब हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

शेयर बाज़ार वो जगह है जहां अठ्ठे-कठ्ठे बच्चा तक मुनाफा कमा सकता है। लेकिन ऐसे कच्चे लोग अक्सर कमाई का कई गुना गंवा बैठते हैं। सच्चे ट्रेडर के लिए असली चुनौती है बराबर कमाना। गाड़ी चलती रही, गढ्ढों में न धंसे। इसके लिए मन को इतना निर्मल रखना होता है कि चार्ट के भावों की भाषा से सीधा संवाद बन जाए। टेक्निकल एनालिसिस के हर इंडीकेटर के ऊपर हैं भाव। अब करते हैं सप्ताह का आखिरी अभ्यास…औरऔर भी

न्यूटन का पहला नियम कहता है कि कोई वस्तु तब तक उसी अवस्था में बरकरार रहती है जब तक कोई बाहरी बल उसे मजबूर नहीं कर देता। इसीलिए तेज़ भागती गाड़ी खटाक से नहीं मुड़ती। लेकिन शेयर बाज़ार में किसी बाहरी बल से ज्यादा अंदर का बल काम करता है। लालच और भय के अलावा यहां ईर्ष्या और जलन जैसी भावनाएं भी जलवा दिखाती हैं। यहां इन भावनाओं से ऊपर उठना जरूरी है। अब गुरुवार की दृष्टि…औरऔर भी

बाज़ार में दसियों हज़ार लोग होंगे जो अपनी आंखों या बुद्धि से ज्यादा कानों पर विश्वास करते हैं। वे अफवाहों पर खरीदते-बेचते हैं और खबर आने पर निकल जाते हैं। चुनाव नतीजों से पहले रात ग्यारह बजे कोलकाता से एक सज्जन का फोन आया कि कोई ‘खबर’ हो तो बताइए। मैंने कहा कि सुबह 8 बजे से सब साफ होने लगेगा। फिर अभी से काहे की हड़बड़ी। हड़बड़ाइये मत, भावों का भाव पढ़िए। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी