कंप्यूटर पर एक की गलत दब जाने के क्या हो जाता है, इसका उदाहरण है कि आज बाजार में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के 5 लाख शेयर गलती से बिक गए। सूत्रों के मुताबिक यह गलती ब्रोकर फर्म इंडिया इंफोलाइन (आईआईएफएल) के एक डीलर से हुई है। डीलर को आईसीआईसीआई बैंक के 5 लाख शेयर बेचने थे। लेकिन गलती से बटन आरआईएल पर दब गया। और फिर क्या था, सेकंडों में चलनेवाले बाजार में बिक गए आरआईएल केऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के मसले ने बाजार को भारी आवेग दिया। इसके चक्कर में ट्रेडर ऊंचे भावों पर भारी-भरकम खरीद के सौदे कर बैठे। इसका नतीजा यह हुआ कि बाजार खुद को ऊंचे स्तर पर टिकाए नहीं रख सका। बीएसई सेंसेक्स दिन में 263.12 अंक बढ़ गया था, लेकिन बंद हुआ केवल 23.94 अंक की बढ़त के साथ। दोनों अंबानी भाइयों की कंपनियों के शेयर कारोबारियों के पसंदीदा बने रहे। आरआईएल 1049 तक उठने के बाद 2.58औरऔर भी

रिलायंस समूह अब भी शेयर बाजार का बेताज बादशाह बना हुआ है। इसलिए मुकेश और अनिल अंबानी के बीच सुलझ हो जाने के बाद पूरी उम्मीद है कि सोमवार को बाजार में तेजी का आलम रहेगा। इस बीच आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज जैसी देश की प्रमुख ब्रोकरेज व निवेश बैंकिंग कंपनी ने भी अनुमान जताया है कि इस साल बीएसई सेंसेक्स 19,000 अंक के ऊपर जा सकता है। कंपनी की सीईओ व प्रबंध निदेशक माधबी पुरी बुच का कहनाऔरऔर भी

अनिल अंबानी की तमाम कंपनियों के शेयर आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आंधी के शिकार हो गए। आरएनआरएल का शेयर बीएसई में 22.82 फीसदी गिरकर 52.75 रुपए पर बंद हुआ, लेकिन दिन में 50 रुपए पर जाकर 52 हफ्ते की तलहटी पर भी पहुंच गया। यही हाल एनएसई में भी रहा। 23.77 फीसकी की गिरावट के साथ बंद हुआ 52.10 रुपए पर लेकिन 49.75 के न्यूनतम स्तर पर जाकर। जानकारों के मुताबिक यही माकूल वक्त हैऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार 18 दिसंबर 2009 से रुका हुआ फैसला शुक्रवार 7 मई 2010 को आ गया। कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने दो-एक के बहुमत से रिलायंस इंडस्ट्रीज के हक में फैसला सुनाया है। उसका कहना है कि गैस जब तक ग्राहक तक नहीं पहुंचती, तब तक वह पूरी तरह जनता का नुमाइंदा होने के कारण सरकार की है। किन्हीं भी दो पक्षों या परिवारों के बीच हुआ एमओयू (आपसी करार) कोई कानूनी वैधता नहींऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2009-10 गुजर गया। लेकिन यह साल जाते-जाते शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी दोगुनी करके गया है। अगर लिस्टेड कंपनियों के शेयर भावों को आधार बनाएं तो बाजार का पूंजीकरण अब 60 लाख करोड़ रुपए का स्तर पार गया है जो पिछले साल के स्तर से लगभग दोगुना है। हालांकि ये सारा सांकेतिक मामला है। लेकिन मानने में क्या हर्ज है कि भारतीय निवेशक पहले से दोगुने अमीर हो गए। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) मेंऔरऔर भी

बाजार के ज्यादातर कारोबारी निफ्टी में शॉर्ट थे और टकटकी लगाए देख रहे थे कि कब स्क्रीन पर निफ्टी के लिए 5040 का अंक चमकता है। मेरी जिन भी 15-20 रिटेल प्रमुखों और दूसरे लोगों से बात हुई, सभी करेक्शन का इंतजार कर रहे थे। अभी हालत यह है कि या तो वे शॉर्ट हैं या 15 मार्च तक अग्रिम कर अदायगी के लिए बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। कुछ तो यहां तक मानते हैं किऔरऔर भी