ऑडिट क्षेत्र की नियामक संस्था, आईसीएआई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया) ने लवलॉक एवं लेवेस के दो चार्टर्ड अकाउन्टेंटों पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया है और करीब 14,000 करोड़ रुपए के सत्यम घोटाले में उनकी भूमिका को देखते हुए दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। आईसीएआई ने एक बयान में कहा, “आईसीएआई की अनुशासन समिति ने जांच में लवलॉक एवं लेविस के चार्टर्ड अकाउंटेंट पुलावर्ती शिव प्रसाद और चिंतापटला रवींद्रनाथ कोऔरऔर भी

सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज (अभी की महिंद्रा सत्यम) के खातों में 7136 करोड़ रुपए की भयंकर घपलेबाजी जब हुई थी, तब उसके ऑडिट का काम अंतरराष्ट्रीय स्तर की फर्म प्राइस वॉटरहाउस देख रही थी। देश के कॉरपोरेट जगत को हिला देनेवाले इस घोटाले में पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने प्राइस वॉटरहाउस के खिलाफ पहला कारण बताओ नोटिस 14 फरवरी 2009 को जारी किया था और मामले की सुनवाई 30 मार्च 2010 को शुरू हुई थी। लेकिन प्राइसऔरऔर भी

देश में सक्रिय दुनिया की चार ऑडिट फर्में ऐसे-ऐसे काम भी कर रही हैं जिनकी उन्हें इजाजत नहीं दी गई है। यह कहना है देश में एकाउंटिंग व ऑडिटिंग की नियामक संस्था आईसीएई (इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंटट्स ऑफ इंडिया) की एक शीर्ष समिति का। आईसीएआई के पूर्व अध्यक्ष उत्तम प्रकाश अग्रवाल की अगुआई में बनी इस समिति का कहना है कि प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स, केपीएमजी, अर्न्स्ट एंड एंग और डेलॉइटे को देश में कंसलटेंसी सेवाएं देने कीऔरऔर भी