दुनिया जंगल है और उसकी सारी राहें पत्तों से ढंकी हैं। बड़े होते ही मां-बाप का हाथ छोड़ राह की तलाश में जुट जाते हैं। सच्चा गुरु मिला तो मिल जाती है मंजिल। नहीं तो ताज़िंदगी भटकते रह जाते है।और भीऔर भी

विचार उस टॉर्च की तरह हैं जो हर अंधेरे मोड़ पर आपको दस गज दूर तक का ही रास्ता दिखाते हैं। इसलिए सफर में निरंतर आगे बढ़ने के लिए हर मोड़ पर विचारों को नई दिशा, नई रौशनी देनी जरूरी है।और भीऔर भी

इस दुनिया में आए हैं तो बिना रुके बराबर चलना ही पड़ेगा क्योंकि यहां कुछ भी ठहरा नहीं, सब कुछ चल रहा है। सही राह चुन ली, तब भी चलते रहना जरूरी है क्योंकि बीच में ठहर गए तो कुचल दिए जाएंगे।और भीऔर भी

जहां हाथ को हाथ सुझाई नहीं देता, वैसे कुहासे व अंधेरे से घिरे भविष्य में विचार हमारे लिए जुगनू का काम करते हैं। वे खटाक से अपनी टॉर्च जलाकर हमें कम से कम कुछ दूर तक का रास्ता दिखा देते हैं।और भीऔर भी

चलने पर चौराहे नहीं, अठराहे भी मिल सकते हैं। लेकिन चलने से ही राहें खुलती हैं। चलिए तो समुद्र भी दोफाड़ होकर आपकी राह संवार देता है। तो, काहे रुके हो भाई! चलो तो सही। मंजिल आपकी बाट जोह रही है।और भीऔर भी