जो चीज़ खुदा-न-खास्ता अपनी हो गई, उसे हम कभी फेंक नहीं पाते। पुरानी मशीनें, जूते, कपड़े, बच्चों के खिलौने और न जाने क्या-क्या कहीं कोने-अंतरे में सहेजकर रखते हैं। असल में यह मालिकाने की मानसिक ग्रंथि है, मोह है, जिसे निकालना जरूरी है। इसलिए ट्रेडिंग के लिए कोई शेयर खरीदने से पहले तय कर लें कि कहां निकलना है। नहीं तो लेने के बाद वो गले की हड्डी बन जाएगा। अब बाज़ार की दशा-दिशा और ट्रेडिंग टिप्स…औरऔर भी

हमें डिस्काउंट की आदत है। लेकिन शेयर बाज़ार में यह सोच कभी-कभी भारी पड़ सकती है क्योंकि यहां कोई स्टॉक सस्ता क्यों है और महंगा क्यों, इसकी बड़ी स्पष्ट वजहें होती हैं। अच्छा स्टॉक कभी किसी निगाह से छूटता नहीं। लोग उसे लपकने लगते हैं और फ्लोटिंग स्टॉक सीमित होने के कारण खट से शेयर चढ़ जाता है। याद रखें, सस्ती चीजें हमेशा अच्छी नहीं होतीं और अच्छी चीजें कभी सस्ती नहीं होतीं। अब बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

शेयरों में ट्रेडिंग से शांत मनवाले ही कमा पाते हैं। एक विशेषज्ञ ने बताया कि कुल मिलाकर गिनें तो ट्रेडिंग के दस लाख तरीके निकल आएंगे। इसलिए ‘किसको पकड़ूं, किसको छोड़ूं’ के भ्रम में पड़े लोग आदर्श तरीके की खोज में ज़िंदगी भर भटकते रह जाते हैं, कभी ट्रेडिंग नहीं कर पाते। करने पर घाटा खाते हैं तो फिर आदर्श की तलाश में भटकने लगते हैं। अहम है रिस्क और प्रायिकता को समझना। अब आज की बात…औरऔर भी

कामयाब ट्रेडर बाज़ार में इकलौते मकसद से उतरता है। वो है पूंजी को बराबर बढ़ाते जाना। इससे उसे शोहरत भी मिल सकती है। लेकिन मनोरंजन, प्यार या सामाजिक प्रतिष्ठा वगैरह-वगैरह उसे बाज़ार से नहीं, बाहर से मिलती है। बाज़ार में सुबह से शाम तक टाइमपास करना भी बेमतलब है। लोग भले ही कहें कि कितना मेहनती ट्रेडर है। लेकिन जो मेहनत पूंजी न बढाए, वो किस काम की? आइए देखते हैं पूंजी बढ़ाने के आज के मौके…औरऔर भी

तमाम अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि भारत की हालत सरकारी कर्मों व आम भारतीय स्वभाव के चलते अंदर ही अंदर इत्ती खोखली होती जा रही है कि हल्के धक्के से गिर जाए। रुपया डूब रहा है। विदेशी निवेशकों को रोक पाना बहुत कठिन है। वैसे, अर्थशास्त्रियों पर एक चर्चित लेखक कहते हैं कि जिज्ञासु जन वैज्ञानिक, संवेदनशील जन कलाकार और व्याहारिक लोग बिजनेस करते हैं; बाकी बचे लोग अर्थशास्त्री हो जाते हैं। सो, उन्हें छोड़ बढ़ें आगे…औरऔर भी

बहुतेरे लोगों से सुना था, “मेरा मन कहता है कि यह शेयर यहां से जमकर उठेगा और ऐसा ही हुआ।” लेकिन कल तो हद हो गई। एक सज्जन बताने लगे कि उन्हें गुरुवार 30 मई को सुबह-सुबह सपना आया कि शुक्रवार को निफ्टी टूटेगा और वाकई निफ्टी 6134 से 5976 तक टूट गया। मैं उनसे क्या कहता! लेकिन आपसे विनती है कि मन/सपनों से मुक्त होकर ही बाज़ार में प्रवेश कीजिए। आइए, देखें इस गुरुवार का हाल…औरऔर भी

नियम है कि बाज़ार में एंट्री मारते समय बहुत सावधानी बरतें। पूरी रिसर्च के बाद ही किसी सौदे को हाथ लगाएं। लेकिन निकलने में तनिक भी देर न करें। राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था। हल्की-सी आहट मिली कि खटाक से निकल लिए। पर आम लोग इसका उल्टा करते हैं। घुसते खटाक से हैं। लेकिन लंबा इंतज़ार करते हैं कि बाज़ार उनकी चाहत पूरा करेगा, तभी निकलेंगे। देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी

बाज़ार वही, शेयर भी वही। एक-सा उठना-गिरना। पर यहां कुछ लोग हर दिन नोट बनाते हैं, जबकि ज्यादातर की जेब ढीली हो जाती है। शेयर बाज़ार की बुनावट ही ऐसी है कि यहां कुछ कमाते हैं, अधिकांश गंवाते हैं। फुटबॉल मैच का उन्माद खोजनेवाले यहां पिटते हैं। काहिलों को बाज़ार खूब धुनता है। वो आपके हर आग्रह-दुराग्रह, कमज़ोरी का इस्तेमाल आपके खिलाफ करता है। सो, रियाज़ से हर खोट को निकालना ज़रूरी है। अब नज़र आज पर…औरऔर भी

अनाड़ी ट्रेडर जहां-तहां मुंह मारते हैं। वहीं प्रोफेशनल ट्रेडर एक ही बाज़ार में महीनों डटे रहते हैं। प्रोफेशनल एक खास तरीके पर महारत हासिल करते हैं। बहुत-से लोग उनकी ट्रेडिंग का पैटर्न देखकर भी सीखते हैं। लेकिन हर हाल में आपको अपना सौदा तथ्यों और संभावनाओं पर टिकाना होता है, न कि ‘गट-फीलिंग’ या उम्मीद पर। सही उत्तर अपनी रिसर्च से तलाशे जाते हैं। तभी आप में ट्रेडिंग का आत्मविश्वास बनेगा। इसी कड़ी में बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

तीसरी कसम फिल्म आपने देखी होगी या रेणु की यह कहानी शायद पढ़ी हो। इसमें सीधा-साधा नायक दुनिया के जंजाल से बचने के लिए तीन बार कसम खाता है। एक ऐसी ही कसम हम सभी को खानी होगी कि शेयर बाज़ार के ऑपरेटरों की बात पर कभी भी यकीन नहीं करेंगे। वे हमेशा अपने फायदे की सोचते हैं। शातिर ठग होते हैं। इसलिए उन्हें दूर से ही सलाम। खुले दिमाग से अब रुख करते हैं बाज़ार का…औरऔर भी