उड़ीसा के जगतसिंह पुर जिले में दक्षिण कोरियाई कंपनी पोस्को की प्रस्तावित इस्पात परियोजना का हश्र पश्चिम बंगाल में टाटा की सिंगूर परियोजना जैसा होता दिखाई दे रहा है। अपनी भूमि दे चुके किसानों को उचित मुआवजा देने और अन्य शर्तो को पूरा करने की मांग पर अड़े स्थानीय निवासियों ने सड़क व रेलमार्ग रोक दिया है। इससे मंगलवार को तीसरे दिन भी पोस्को परियोजना का काम-काज बंद रहा। उधर कोलकाता से मिली खबर के अनुसार माओवादियोंऔरऔर भी

कंपनी में चेयरमैन से ज्यादा अहमियत सीईओ की होती है। उसी तरह जैसे देश में राष्ट्रपति से ज्यादा अहमियत प्रधानमंत्री की होती है। कंपनी का सीईओ जो चाहे कर सकता है, हालांकि उसे निदेशक बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है। हमारा प्रधानमंत्री भी चाहे जो फैसले कर सकता है, हालांकि उसे पार्टी के हाईकमान और मंत्री-परिषद को साथ लेकर चलना होता है। पर मुश्किल यह है कि हमारे यहां देश से लेकर कंपनियों तक में खानदारी सफाखानाऔरऔर भी