हम सभी के अंदर एक चुम्बक है जो माफिक चीजों को खींचकर लगातार एक पैटर्न बनाता रहता है। इसी पैटर्न से हमारा व्यक्तित्व बनता है, जबकि इसका एक अंश शब्दों का आकार पाकर विचार बन जाता है।और भीऔर भी

गुरुत्वाकर्षण इतना सहज है कि सब धरती से चिपके आराम से चलते रहते हैं। जब उड़ना होता है तभी इस चुम्बक का अहसास होता है। इस ज्ञान के लिए उड़ना नहीं तो कम से कम उड़ने की कोशिश जरूरी है।  और भीऔर भी