मुनाफा कमाना हो तो रिस्क उठाने के बजाय हम पक्के, मगर कम रिटर्न पर संतोष कर लेते हैं। लेकिन घाटे की अवश्यसंभावी सूरत में भी उसे बचाने के लिए रिस्क उठाने को तत्पर रहते हैं। शास्त्रों तक में कहा गया है कि सर्वनाशे समुत्पन्ने अर्धम् त्यजति पंडितः अर्थात संपूर्ण का नाश होते देख आधे को त्याग दें। लेकिन हम घाटे को बचाने के चक्कर में रिस्क उठाकर सर्वनाश कर बैठते हैं। सोचिए, समझिए। अब ट्रेड शुक्रवार का…औरऔर भी

मन के हारे हार, मन के जीते जीत। बाज़ार में जीत का वास्ता ट्रेडिंग शैली से कहीं ज्यादा आपकी मानसिक बुनावट से है। 90% काम मानसिक हिसाब-किताब और तैयारी का। बस 10% काम उस पर अमल का होता है। कहा जाता है कि चार्ट पढ़ने से पहले यह समझना ज्यादा महत्वपूर्ण है कि लोगबाग कैसे सोचते हैं। डर से भागने, लालच में अंधे हो जाने जैसे सामूहिक मनोविज्ञान की बारीक समझ ज़रूरी है। अब बुद्धि बुधवार की…औरऔर भी

बिना कोई सेवा या सलाह लिए यूं ही कोई शेयर चुन लें। हो सकता है कि वो उस दिन छलांग लगा जाए और महंगी सेवा का शेयर लुढ़क जाए। आगे का किसी को पता नहीं। दरअसल, सारा किस्मत का खेल है क्योंकि किसी भी शेयर में खरीदने, बेचनेवालों के संतुलन का सटीक आकलन नामुमकिन है। पर किस्मत का मामला एकदम रिस्की है। अध्ययन-विश्लेषण से हम ट्रेडिंग में किस्मत का यही रिस्क साधते हैं। अब सोम का व्योम…औरऔर भी