शेयर या अन्य वित्तीय प्रपत्रों की ट्रेडिंग को हमने भौकाल समझ रखा है, जबकि यह मूलतः किसी दूसरे व्यापार जैसा है। कोई इलेक्ट्रॉनिक सामानों का व्यापार करता है, कोई जनरल स्टोर चलाता है तो कोई सब्जी-भाजी की दुकान करता है। सभी थोक के भाव खरीदकर रिटेल के भाव बेचते हैं। अंतर बस इतना है कि शेयर बाज़ार में थोक बाज़ार अलग से नहीं लगता। हमें थोक भाव खुद पता करना होता है। अब समझें शुक्रवार की ट्रेडिंग…औरऔर भी

ऑफिस में आपको सुविधा रहती है कि चट जाने पर आप साथ के लोगों के साथ गप-शप कर सकते हैं, कैंटीन में जा सकते हैं। लेकिन ट्रेडिंग एक तरह की साधना है जिसे आपको अकेले ही पूरा करना पड़ता है। तलवार की धार पर चलने जैसा काम है। इसमें व्यवधान नहीं चाहिए क्योंकि ध्यान टूटा तो आप भावना या असावधानी में नुकसानदेह फैसला ले सकते हैं। इनपुट जगह-जगह से, लेकिन फैसला अपना। अब देखें गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

मुंबई नगरिया में मनोज बाजपेयी जैसे हज़ारों कुशल अभिनेता हैं जिनको एक बार काम मिलता है तो महीनों तक सन्नाटा छा जाता है। वित्त के बाज़ार में मंजे हुए ट्रेडर भी ऐसी ऊंच-नीच से बच नहीं पाते। प्रायिकता का पांसा हमेशा आपके पक्ष में बैठे, यह ज़रूरी तो नहीं। इसलिए अभिनेता से लेकर पूर्णकालिक ट्रेडर तक को महीनों के रसद-पानी का इंतज़ाम करके रखना पड़ता है। इस रिस्क को समझ लें कायदे से। अब बुध की बुद्धि…औरऔर भी

ट्रेडिंग से जीविका चलाना आसान नहीं। इसमें तगड़ा अनुशासन चाहिए। सुबह 8 बजे तक तैयार होकर कंप्यूटर पर बैठ जाएं। देखें कि बीती रात हमारे बंद हुए विदेशी बाज़ारों का क्या हाल रहा और आज हमसे पहले खुले एशिया के बाज़ारों की क्या हाल है। फिर, अपने यहां तमाम सूचकांकों का कल क्या हाल रहा। डे-ट्रेडर हैं तो शाम तक बराबर डटे रहना होगा। स्विंग या पोजिशनल ट्रेडर हैं तो बात अलग है। अब मंगल की दशा-दिशा…औरऔर भी

अगर आप ट्रेडिंग से जीविका चलाना ही चाहते हैं तो बड़ी पूंजी के साथ आप को तीन बुनियादी शर्तें पूरी करनी पड़ेंगी। एक, तगड़ा अनुशासन। इसमें समय प्रबंधन सबसे खास है। दो, रिस्क झेलने की भरपूर सामर्थ्य। दिन या हफ्ता छोड़िए, अक्सर सारी तैयारी होने पर भी महीनों तक घाटा उठाना पड़ सकता है। तीन, अकेले काम करने की सुविधा। इन शर्तों को हम अगले कुछ दिनों में खुलकर बताएंगे। तो, करें अब नए हफ्ते का आगाज़…औरऔर भी

कोई होलटाइम ट्रेडिंग करे और महीने में 40,000 रुपए (साल के 5 लाख) भी न कमाए तो क्या फायदा! 25% सालाना रिटर्न पकडें तो इसके लिए 20 लाख की पूंजी चाहिए। इसके ऊपर दो साल का बफर, 10 लाख रखना होगा। इसके अलावा इतनी ही रकम बचत खाते में अलग होनी चाहिए। इस तरह ट्रेडिंग से महीने में 40,000 कमाने के लिए कुल चाहिए 40 लाख रुपए। इतने नहीं तो पार्ट-टाइम ही अच्छा। अब शुक्रवार की गति…औरऔर भी

पारंपरिक विवेक कहता है कि अच्छी खबर पर शेयर खरीदो और बुरी खबर पर बेचो। लेकिन कुशल ट्रेडर इसका उल्टा करते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि खबरों का असर स्थाई नहीं होता। अच्छी खबर पर सभी खरीदने पर उतारू होते हैं जिससे शेयर चढ़ते हैं। कुशल ट्रेडर इस मौके पर मुनाफावसूली करते हैं। वहीं बुरी खबर पर शेयर गिरते हैं तो ट्रेडर इस अवसर का इस्तेमाल पोजिशन बनाने में करते हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग का एक स्टाइल: बहती गंगा में हाथ धोना, यानी हफ्ते-दस दिन के अल्कालिक चक्र में भाव जिस दिशा में चला हो, उसी दिशा में सौदे पकड़कर कमाई करना। लेकिन बीच में घुसने के नाते इसमें कमाई की रेंज कम होती है। दूसरे, रुख पलटा तो चपत का रिस्क तगड़ा रहता है। दूसरा स्टाइल: निश्चित अंतराल पर भाव जहां से रुख पलटते हैं, उस बिंदु को पकड़ना। इसमें रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात ज्यादा रहता है। अब बुधवार का व्यवहार…औरऔर भी

अच्छी खबर से उम्मीद बढ़ती है और शेयर के भाव चढ़ जाते हैं। खासकर तब बेचनेवाले लगभग चुक गए हों। लेकिन दिक्कत यह है कि खबर हम से पहले पहुंचवालों तक पहुंच जाती है। लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं हो पाता। जैसे, गुरुवार को सुंद्रम फास्टेनर्स के अच्छे नतीजे आए तो बाज़ार बंद था। हमने इस मौके को पकड़ा। ट्रेडिंग की सलाह दी और वो शेयर शुक्रवार को एक दिन में 17.50% चढ़ गया। अब मंगलवार की नज़र…औरऔर भी

बाज़ार उठता है धीरे-धीरे। लेकिन गिरता है एकदम धूम-धड़ाम। ऐसा इसलिए क्योंकि कोई बुरी खबर आते ही हर कोई ठीक उसी वक्त बेचना चाहता है, बगैर यह सोचे कि उस खबर में सचमुच दम है या वो अफवाह तो नहीं। कालेधन वालों में प्रदीप बर्मन का नाम आया तो हर कोई डाबर बेचने लगा। लेकिन हमने कहा खरीदो, 10-12 दिन में 230 पर होगा। पांचवें ट्रेडिंग सत्र में ही 232 तक पहुंच गया। अब आगाज़ सोमवार का…औरऔर भी