स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में 80-90% लाने से एकदम अलग बात है प्रतियोगिता में जीतना। आप 90% लाकर भी इसमें हार सकते हैं और 45% लाकर भी जीत सकते हैं। शर्त इतनी कि आपको औरों पर बीस पड़ना पड़ेगा। ट्रेडिंग भी शुद्ध रूप से प्रतियोगिता है और वो भी एक से एक की। दोनों एक ही स्टॉक पकड़ते हैं। फायदे की सोचकर एक खरीदता है, दूसरा बेचता है। कामयाब होता एक ही। अब समझते हैं शुक्रवार का चक्र…औरऔर भी

ट्रेडिंग अगर आपको कष्ट दे रही है, आपको परेशान कर देती है जो ज़रूर आप कोई न कोई गड़बड़ कर रहे होंगे। अपना संयम-नियम अनुशासन दुरुस्त कीजिए। अगर एंट्रा-डे ट्रेड नहीं कर रहे हैं तो दिन में एक बार से ज्यादा पोर्टफोलियो को देखने की जरूरत नहीं है। ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर में स्टॉप लॉस या एंट्री के भाव का अलार्म लगाकर रखें। फिर निश्चिंत रहें। लक्ष्य हासिल या स्टॉप लॉस, बेधड़क निकल लें। अब देखें गुरु की दिशा…औरऔर भी

ज़रा हिसाब लगाकर देखिए। सौदे आपने वही चुने जिनमें रिस्क-रिवॉर्ड अनुपात एक पर तीन या इससे ज्यादा का है। महीने के 20 सौदे में से 12 गलत निकले तो 2% स्टॉप लॉस से कुल घाटा लगा 24% का, जबकि बाकी आठ सही निकले तो 6% की दर से फायदा हुआ 48% का। इस तरह महीने में कुल मिलाकर 24% का फायदा। यही है ट्रेडिंग में मोटामोटा नफा-नुकसान का आकलन व अनुशासन। अब परखते हैं बुधवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

खास खबर का दिन। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की दो-दो महीने पर होनेवाली पांचवीं समीक्षा पेश करेगा। सरकार व उद्योग जगत से गवर्नर रघुराम राजन पर दवाब है कि ब्याज दर कम से कम 0.25% घटा दें क्योंकि रिटेल मुद्रास्फीति घट चुकी है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल सस्ता होता जा रहा है। अब आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए ब्याज घटाना ज़रूरी है। लेकिन राजन शायद ही ऐसा कुछ करें। ऐसे में क्या हो ट्रेडिंग रणनीति…औरऔर भी

ट्रेडिंग की घाटी में बेध्यानी और बिना तैयारी के उतरना घातक है। अगर आप पूरी मानसिक व भावनात्मक तैयारी के बगैर इसमें उतरते हैं तो समझिए कि बिना स्टीयरिंग के गाड़ी चला रहे हैं। तब आप घाटी में कहीं गिरकर बर्बाद हो जाएंगे। शातिर शिकारियों का निवाला बन जाएंगे। याद रखें कि ट्रेडिंग 90-95% मन व भावना को वश में रखने का खेल है। यहां आप रिस्क उठाते हैं, लेकिन एकदम गिनकर। पकड़ें अब दिसंबर का सूत्र…औरऔर भी

इस बार नहीं, अगली बार सही। अगर आप बाज़ार में इस सोच के साथ ट्रेड कर रहे हैं तो दरअसल आप ट्रेडिंग नहीं, सट्टेबाज़ी कर रहे हैं। याद रखें, जीवन में बाधाओं का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ने के लिए आशावाद निहायत जरूरी है। लेकिन ट्रेडिंग में अतार्किक आशावाद अफीम के नशे की तरफ आपको खोखला बना डालता है। नियम बनाइए, उन पर चलिए और नफे या नुकसान की जिम्मेदारी खुद लीजिए। अब देखें शुक्र का हाल…औरऔर भी

लगातार तीन ट्रेड गलत। हरेक में 2-2% का स्टॉप लॉस तो कुल 6% का नुकसान। नियम कहता है कि इतना नुकसान होते ही महीने भर के लिए ट्रेडिंग रोक देनी चाहिए। कुछ भी करें। पढ़ें-लिखें। मौजमस्ती करें। लेकिन ट्रेडिंग न करें। इसकी बड़ी मनोवैज्ञानिक वजह है। दरअसल, सचमुच का घाटा लगने पर हम अंदर से घबरा जाते हैं और घबराहट में गलत फैसले ले सकते हैं। ट्रेडिंग पूंजी को आंच न आने दें। अब गुरुवार का दशा-दिशा…औरऔर भी

पहाड़ से उतरिए तो शॉर्टकट से खटाखट 15 मिनट में नीचे पहुंच जाएंगे। लेकिन उसी या किसी अन्य रास्ते से चढ़िए तो घंटे-डेढ़ घंटे लगेंगे। शेयरों का भी यही हाल है। 100 से 98 तक आया तो गिरा 2%, लेकिन वापस 100 तक पहुंचने के लिए 2.04% बढ़ना होगा। 5% गिरा तो वापस पहुंचने के लिए 5.26% बढ़ना होगा। 50% गिरा तो खोया धन पाने के लिए 100% बढ़ना होगा। इसलिए घाटा संभालें। अब आगाज़ बुधवार का…औरऔर भी

अंग्रेज़ी में कहावत है कि एक ही टोकरी में सारे अंडे रखोगे तो टूट जाएंगे। इसीलिए निवेश में पोर्टफोलियो का नियम चलता है। न्यूनतम 40 कंपनियों का पोर्टफोलियो हो तो उनके अलग-अलग रिस्क आपस में कट जाते हैं, बचता है केवल बाज़ार का समग्र रिस्क। इसी तरह ट्रेडिंग में पोर्टफोलियो का नियम कहता है कि 100 रुपए हों तो 5-5 रुपए 20 स्टॉक्स में लगाओ। कुछ विशेषज्ञ 2-2 लगाने की सलाह देते हैं। अब मंगल का मंगलम…औरऔर भी

हड़बड़ी में गड़बड़ी हो ही जाती है। लेकिन कभी-कभी पूरी मशक्कत के बाद निकाला गया ट्रेड का आइडिया भी फेल हो जाता है। इसीलिए कहते हैं कि ट्रेडिंग में अच्छा आइडिया ज़रूरी तो है, पर पर्याप्त नहीं। वो तब पर्याप्त बनता है, जब रिस्क संभालने का बंदोबस्त चौकस रखा जाए। इसके लिए 2%-6% का बुनियादी नियम है। साथ ही किसी एक ट्रेड में हमें पोर्टफोलियो का 5% से ज्यादा भाग नहीं लगाना चाहिए। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी