ट्रेडिंग में वही रिस्क उठाने चाहिए जिसमें अपने फायदे की गुंजाइश ज्यादा और नुकसान की न्यूनतम हो। अंधे रिस्क का कोई मतलब नहीं क्योंकि याद रखें कि सामनेवाला घाघ खिलाड़ी घात लगाए बैठा है। इसलिए बाज़ार में उतरें तो पूरी तैयारी और गणना के साथ कि फायदे की प्रायिकता और दांव उल्टा पड़ने की आशंका कितनी है। सतर्क रहें और दांव उल्टा पड़ते ही कम से कम नुकसान में बाहर निकल लें। अब देखें सोम का व्योम…औरऔर भी

भाव उम्मीदों से बनते हैं और उम्मीद बनती है माकूल खबर से। इसलिए ब्याज दर में कमी की खबर लगते ही निफ्टी सारी सुस्ती छोड़कर खुला ही करीब 150 अंक या 1.78% ऊपर। लगातार बढ़ता-बढ़ता 2.50 बजे के आसपास 3% चढ़ गया और आखिर में 2.62% की बढ़त के साथ 8500 से ज़रा-सा नीचे बंद हुआ। यह 9 मई 2014 के बाद पिछले आठ महीनों की सबसे बड़ी दैनिक बढ़त है। करते हैं अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

भावों की भाषा सीखना-समझना फैंच या स्पैनिश सीखने से कम नहीं। लेकिन ट्रेडिंग में सफल होना है तो भावों की भाषा में पारंगत होना बहुत ज़रूरी है। भाव को भगवान मानने से काम नहीं चलेगा। उसकी तह में पैठने के लिए तमाम किताबें पढ़नी पड़ेंगी, टेक्निकल एनालिसिस तक की थाह लेनी पड़ेगी। कारण, हमारे पास देखने को भाव और आजमाने को अपनी बुद्धि व अभ्यास के अलावा और कुछ नहीं है। अब परखते हैं गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

कल बाज़ार के एक पुराने जानकार से मिला। कहने लगे कि सच बहुत कड़वा होता है, पर सच यही है कि बीते दो दशक में अच्छी पारदर्शिता आने के बावजूद अपना बाज़ार अभी सचमुच पूरा पारदर्शी नहीं हुआ है। एक्सचेंज या सेबी वही आंकड़े बताते हैं जिनमें गहरा गोता लगाकर भी सच की मणि नहीं मिलती। मैं भी सोचने लगा कि अक्सर ठीक ढाई बजे बाज़ार अचानक पलटी क्यों मारता है? सोचिए, समझिए। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

ट्रेडिंग में स्टॉप-लॉस का वही महत्व है जो गाड़ी में ब्रेक का। दरअसल, स्टॉप-लॉस का तत्व हर ट्रेडर के डीएनए का हिस्सा होना चाहिए। लेकिन बहुत से लोग अपने को सही ठहराने के लिए स्टॉप-लॉस को उल्टी दिशा में गिराते-उठाते रहते हैं। लॉन्ग सौदे में शेयर गिर गया तो स्टॉप-लॉस को और नीचे ले जाते हैं। शॉर्ट किया तो स्टॉक के बढ़ने पर स्टॉप-लॉस उठा दिया। इस तरह अनुशासन तोड़ना घातक होता है। अब मंगलवार का अभ्यास…औरऔर भी

शेयर बाज़ार नशे में टुन्न किसी मनोरोगी जैसा है। यह कहना है दुनिया के सबसे कामयाब निवेशक वॉरेन बफेट का। हम उनकी बात को कतई चुनौती नहीं दे सकते क्योंकि ऐसी सोच की बदौलत ही उन्होंने करीब 7300 करोड़ डॉलर की दौलत बनाई है। लेकिन यह भी सच है कि बाज़ार उल्लास और अवसाद की अतियों के बीच झूलता है। समझदार ट्रेडर ‘नशे में टुन्न मनोरोगी’ बाज़ार के इसी बर्ताव से कमाते हैं। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

बड़ी उलटबांसियां चलती हैं बाज़ार में। जैसे अगर किसी शेयर में खरीदनेवाले बिड, बेचनेवाले ऑफर से कई गुना ज्यादा हों, खबर भी जबरदस्त हो तो सामान्यतः उसका भाव चढ़ जाना चाहिए। फिर भी वह ठहरा हुआ है तो हम खरीदने के लिए लपकते हैं। लेकिन सावधान! इस स्थिति में संस्थाएं बेचने को तैयार बैठी रहती हैं और अगले कुछ दिनों में उस शेयर में भारी गिरावट आ सकती है। अब नज़र डालते हैं शुक्रवार की मनोदशा पर…औरऔर भी

कमोडिटी, फॉरेक्स या स्टॉक ट्रेडिंग मूलतः किसी अन्य व्यापार जैसी है। लेकिन इसमें कई विशिष्टताएं और स्तर हैं। बाज़ार जब ट्रेंड में चल रहा हो, तब दूसरा प्रपत्र और जब सीमित रेंज में भटक रहा हो, तब कोई दूसरा प्रपत्र। हर स्थिति में यहां कमाई का ज़रिया निकाला गया है। जैसे, बाज़ार जब सीमित दायरे में हो, तब कमाई के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग में ‘बटरफ्लाई’ नाम की रणनीति अपनाई जाती है। अब पकड़ते हैं गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

यूरोप, अमेरिका और एशिया, खासकर जापान की भारी गिरावट ने मंगलवार की सुबह साफ संकेत दे दिया था कि भारतीय बाज़ार में भारी गिरावट आ सकती है। लेकिन सेंसेक्स 3.07% और निफ्टी 3% गिर जाएगा, इसका अंदेशा किसी को नहीं था। यह 3 सितंबर 2013 के बाद किसी एक दिन में आई सबसे तगड़ी गिरावट है। डर इतना गहरा कि निफ्टी के 50 में से 48 शेयर गिरे गए। ऐसे में क्या होनी चाहिए ट्रेडिंग की रणनीति…औरऔर भी

निवेश/ट्रेडिंग उनके लिए है जिनके पास ज़रूरत से ज्यादा धन है। जो ऐसी स्थिति में नहीं हैं, उन्हें पहले कोई कामधाम करके कमाने का इंतज़ाम करना चाहिए। लेकिन जिनके पास पूंजी है, उन्हें भी ज्यादा लाभ की जगह अपनी पूंजी की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। पर अक्सर होता यह है कि ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में हम मतिभ्रम का शिकार हो जाते हैं और अपनी आधार पूंजी गंवा बैठते हैं। अब करें मंगलवार का अभ्यास…औरऔर भी