शुक्रवार को सेंसेक्स के 769.41 अंक (3.97%) व निफ्टी के 234.45 अंक (4.08%) गिरने से अफरातफरी मची है हर तरफ। कहा जा रहा है कि अब गिरावट की तगड़ी मार बाज़ार को झेलनी पड़ेगी। लेकिन दुनिया भर के सफलतम निवेशकों का अनुभव बताता है कि हर बड़ी गिरावट अच्छे स्टॉक्स को सस्ते में खरीदने का बेहतरीन मौका है। लेकिन ऐसे स्टॉक्स को पहचानें कैसे? इसके लिए हम लेकर आए हैं सबसे भरोसमंद सेवा, सबसे सस्ते मूल्य पर…औरऔर भी

निवेशकों को उन्हीं कंपनियों में अपनी बचत लगानी चाहिए जिन्हें वे जानते हों। खासकर तब, जब हवा का रुख उल्टा हो, दिग्गज कंपनियों तक के शेयर पिट रहे हों, तब उन्हें ऐसी कंपनियों को चुनना चाहिए जो मजबूत धरातल पर खड़ी हों। आर्थिक दुविधा और गिरावट के दौर में अपना होमवर्क भी बेहद जरूरी है। यह न केवल अपनी संपदा को बढ़ाने, बल्कि उसे बचाने के लिए भी आवश्यक है। पेश है ऐसी ही एक लार्जकैप कंपनी…औरऔर भी

भाव बढ़ते और गिरते हैं। लंबे निवेश के लिए इसका खास मतलब नहीं। मायने-मतलब है तो मूल्य का। भाव के लिए चुकाए गए धन के एवज में हमें मिलता है मूल्य। भाव हमें दिखता है। मूल्य दिखता नहीं, लेकिन हमारे निवेश की सार्थकता का सार है। भाव शरीर है तो मूल्य चरित्र है, आत्मा है। हम ऐसे ही मूल्यवान शेयरों को बराबर यहां पेश करते रहे हैं। मसलन, अतुल लिमिटेड तीन साल में तीन गुना हो गया…औरऔर भी

वजहें और भी हैं पिछले कुछ सालों में शेयर बाज़ार से हमारी दूरियां बढ़ने की। पर खास वजह है मल्टीबैगर के नाम पर केवल और केवल स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स का लालच फेंकना। न जाने कितने निवेशकों का धन ऐसी कंपनियों में आधे या एक तिहाई से भी नीचे आ चुका है। तथास्तु देश की एकमात्र ऐसी संतुलित और भरोसेमंद सेवा है जो आपके लालच को नहीं, भविष्य को संवारती है। लंबे निवेश का एक और मौका…औरऔर भी

दो हफ्ते पहले गुजरात-महाराष्ट्र से सटे आदिवासी इलाके में सर्वोदय मंडल का काम देखने गया था तो बेहद उत्साही बुजुर्ग खंडेलवाल जी से मिलना हुआ। उम्र 84 साल। पहले सीए थे। अब पिछले तीस सालों से सामाजिक कार्यकर्ता हैं। शेयर बाज़ार में पहले निवेश करते थे। अब उसकी कमाई समेट रहे हैं। उन्होंने हिंद लीवर का शेयर एक रुपए में लिया था। अभी 700 के आसपास है। लंबे निवेश का यही फायदा है। आज एक लार्ज-कैप स्टॉक…औरऔर भी

सिद्धांत की बात करें तो किसी भी स्टॉक में निवेश करने के तीन सबसे प्रमुख आधार हैं: कंपनी की मूलभूत ताकत, अंतर्निहित मूल्य के सापेक्ष उसका भाव, कंपनी का प्रबंधन। लेकिन व्यवहार में कभी लालच तो कभी डर हमारे निवेश पर हावी हो जाता है। किसी ने कहा कि इसमें धन चार गुना हो जाएगा तो आंख मूंदकर खरीद लिया। दूसरे बेचने लगें तो हम भी बिना सोचे-समझे बेचने लगते हैं। यह गलती छोड़ें। देखें यह कंपनी…औरऔर भी

शेयर बाज़ार बढ़ता है। सेंसेक्स और निफ्टी बढ़ते हैं। लेकिन रिटेल निवेशक जहां भी हाथ डाले, घाटा ही खाता है। क्यों? इसलिए कि वो निवेश की अपनी कोई पद्धति या अनुशासन नहीं पकड़ता। बस, औरों की सुनता है। डिविडेंड डार्लिंग में बताते हैं कि चंबल फर्टिलाइजर्स का डिविडेंड यील्ड 5.26% है। नहीं बताते कि यह स्टॉक पांच सालों में 29 से 36 तक ही पहुंचा है। 4.4% का सालाना रिटर्न! दरअसल, मुनाफे के दो अहम पहलू हैं…औरऔर भी

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हर कोई अपने धन को अधिक से अधिकतम करना चाहता है। लेकिन कर कौन पाता है? किसान और ईमानदार नौकरीपेशा इंसान तो हर तरफ से दबा पड़ा है। अपने धन को अधिकतम कर पाते हैं एक तो नेता और नौकरशाह, जो हमारे द्वारा परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से दिए गए टैक्स की लूट और बंदरबांट में लगे हैं। वे अपनी हैसियत और पहुंच का फायदा उठाकर जनधन को जमकर लूटते हैं और देखते ही देखते करोड़पति सेऔरऔर भी

साल भर पहले हमने यहीं पर पॉलि मेडिक्योर में निवेश की सलाह दी थी। तब उसका शेयर 240 के आसपास था। अभी 14 मई को 574.85 का शिखर छूने के बाद फिलहाल 512.50 रुपए पर है। 100% से ज्यादा रिटर्न दिलानेवाली ऐसी तमाम सलाहें तब मुफ्त हुआ करती थीं। लेकिन खुली मुठ्ठी में रखे हीरे का मूल्य लोगों ने नहीं समझा तो मुठ्ठी बंद करनी पड़ी। आज ऐसी कंपनी जो सीधे वॉरेन बफेट से ताल्लुक रखती है।औरऔर भी